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NV NEWS रायपुर। प्रयास ‘अ’ स्मॉल स्टेप फाउंडेशन द्वारा संचालित प्रयास वनवासी पाठशाला के बच्चों एवं संस्था के सदस्यों को छत्तीसगढ़ राजभवन द्वारा एक विशेष आमंत्रण पर 12 अप्रैल की संध्या को आयोजित समारोह में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम राजभवन के भव्य दरबार हाल में आयोजित किया गया था, जहां अरुणाचल प्रदेश, उड़िसा एवं राजस्थान राज्यों के स्थापना दिवस का सांस्कृतिक व औपचारिक आयोजन हुआ।
राज्यपाल महोदय माननीय रमेन डेका जी की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस आयोजन में तीनों राज्यों के प्रतिनिधियों ने उपस्थित होकर अपने-अपने राज्य की सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक उपलब्धियों की जानकारी दी। राज्य प्रतिनिधियों के वक्तव्य के पश्चात महामहिम राज्यपाल जी ने सभी अतिथियों को संबोधित करते हुए इन राज्यों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक महत्ता एवं उनके योगदान पर प्रकाश डाला।
समारोह की एक विशेष प्रस्तुति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, उड़िसा और राजस्थान के राज्यपालों ने अपने संदेशों के माध्यम से उपस्थित जनों को स्थापना दिवस की बधाई दी एवं आपसी सौहार्द की भावना को मजबूत करने की अपील की।
इसके उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें तीनों राज्यों के पारंपरिक लोक कलाकारों ने अपनी-अपनी संस्कृति को दर्शाते हुए मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। वनवासी पाठशाला के बच्चों ने इन प्रस्तुतियों का उत्साहपूर्वक आनंद उठाया और पहली बार राजभवन के सांस्कृतिक माहौल में हिस्सा लेकर गहरी प्रसन्नता जताई।
कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि इसके अंत में वनवासी बच्चों एवं उनके पालकों ने जंगलों से लाए गए प्राकृतिक उपहार – ताजे तेंदु, महुआ फूल एवं शहद – माननीय राज्यपाल महोदय को भेंट किए। यह प्रस्तुति छत्तीसगढ़ की वन संस्कृति और उसके प्रति सम्मान का प्रतीक बनी।
इसके अतिरिक्त प्रयास संस्था के सदस्य हिमांशु ताम्रकार, जो कि खैरागढ़ यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत हैं, उन्होंने राज्यपाल महोदय की पेंसिल स्केचिंग कर बनाई गई एक सुंदर कलाकृति उन्हें भेंट की, जिसे महामहिम ने सहर्ष स्वीकार किया और उसकी सराहना की।
कार्यक्रम का समापन एक विशेष सामूहिक भोज के साथ हुआ, जिसमें वनवासी बच्चे, उनके पालक, संस्था के सदस्य और स्वयं राज्यपाल महोदय एक साथ शामिल हुए। यह अवसर बच्चों के लिए प्रेरणादायी और अविस्मरणीय अनुभव रहा, जिससे उनमें आत्मविश्वास, गौरव और समाज के मुख्यधारा से जुड़ने का भाव जागृत हुआ।
राजभवन की यह पहल न केवल सामाजिक समरसता की मिसाल बनी बल्कि प्रयास संस्था के सेवा भाव को भी व्यापक मंच प्रदान किया। संस्था द्वारा वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा, संस्कृति और आत्मनिर्भरता की दिशा में जो प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हें इस आयोजन के माध्यम से एक नई पहचान मिली।