हनुमान धारा में तीन मासूमों की डूबकर मौत: 26 घंटे की रेस्क्यू के बाद मिले शव, शहर में शोक की लहर

Share this

जांजगीर। जांजगीर-चांपा जिले के हनुमान धारा क्षेत्र में बुधवार को हुआ दर्दनाक हादसा पूरे शहर को झकझोर कर गया। स्कूल से छुट्टी होने के बाद साइकिल से घूमने निकले तीन मासूम बच्चे नहाने के लिए हसदेव नदी पहुंचे थे, जहां पानी की गहराई में उतरने से उनकी मौत हो गई।

शाम तक घर न लौटने पर परिजन बेचैन हो उठे। पूछताछ के बावजूद जब कोई जानकारी नहीं मिली, तो परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। तलाश के दौरान हनुमान धारा के त्रिदेव घाट के पास बच्चों की साइकिलें, कपड़े और फुटवेयर पड़े मिले। इसके बाद बड़े हादसे की आशंका गहराने लगी।

 

कौन थे तीनों बच्चे?

तीनों बच्चे मनका पब्लिक स्कूल के छात्र थे—

नेलशन एक्का (14 वर्ष), कक्षा 9वीं, पिता—नजारियुस एक्का, एएसआई, सक्ती थाना

यश उर्फ युवराज राठौर (14 वर्ष), कक्षा 8वीं

रुद्र राज (11 वर्ष), कक्षा 5वीं

 

बुधवार सुबह 11 बजे सभी घूमने के बहाने घर से निकले थे। पहले भालेराव मैदान पहुंचे और फिर हनुमान धारा पहुंचे। कपड़े और चप्पलें किनारे रखकर नदी में उतर गए। स्थानीय ग्रामीणों ने भी बच्चों को नदी के टापू की ओर जाते देखा था।

मोबाइल लोकेशन बनी अहम कड़ी

नेलशन का मोबाइल बार-बार कॉल करने पर भी स्विच ऑफ मिला। परिजनों ने चांपा पुलिस को सूचना दी। लोकेशन ट्रेस करने पर पता चला कि मोबाइल नदी किनारे ही बंद पड़ा है। मौके पर पहुंची टीम को बच्चों के कपड़े, साइकिल और सारा सामान वहीं मिला।

 

रात में रेस्क्यू रोका, सुबह मिली दर्दनाक सफलता

एसडीएम पवन कोसमा, पुलिस, राजस्व अमला, नगर सेना और एसडीआरएफ की टीम ने देर रात तक रेस्क्यू चलाया। एनीकेट से नदी का बहाव कम करवाया गया, मगर अंधेरा बढ़ने पर रेस्क्यू रोकना पड़ा।

गुरुवार सुबह फिर से अभियान शुरू किया गया और करीब 26 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद तीनों बच्चों के शव नदी की गहराई से बरामद कर लिए गए।

 

शहर में शोक, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

घटना के बाद तीनों परिवारों में मातम पसरा है। नगरवासियों ने भी घटना पर गहरा दुख जताया है। परिजनों को सांत्वना देना भी मुश्किल हो रहा था।

एसडीएम पवन कोसमा ने बताया कि इसे आकस्मिक मृत्यु माना गया है और शासन की ओर से प्रत्येक परिवार को चार-चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।

हसदेव नदी में बच्चों की लगातार हो रही दुर्घटनाओं ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ऐसे खतरनाक इलाकों में सुरक्षा के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

Share this