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कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को मोदी सरकार पर देश के रणनीतिक हितों के साथ समझौता करने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस का कहना है कि मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को एक ऐसी प्राइवेट कंपनी के हाथों बेचा गया है जिसे उस कारोबार का कोई अनुभव नहीं था.
नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने ये दावा किया कि अलग-अलग तरीकों से कंपनी का मूल्यांकन करने पर सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड का वैल्यूएशन 957 करोड़ रुपये 1600 करोड़ रुपये के बीच में पड़ता है.
कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ग़ाज़ियाबाद की इस सरकारी कंपनी को नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड को 210 करोड़ रुपये में बेच डाला.
गौरव वल्लभ ने कहा, “हमारी मांग है कि इस बिक्री को रोका जाए. नंदल फाइनेंस के प्रमोटर नोएडा-ग़ाज़ियाबाद के क्षेत्र में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी चलाते हैं और वे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ करीबी रखने के लिए जाने जाते हैं.”
सरकार ने सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड को 210 करोड़ रुपये में बेचने का एलान किया था. कंपनी की रिज़र्व कीमत 194 करोड़ रुपये रखी गई थी.
एयर इंडिया की बिक्री के बाद विनिवेश की जाने वाली ये दूसरी सरकारी कंपनी है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने ये भी दावा किया कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को खरीदने वाली प्राइवेट कंपनी के पास महज 10 कर्मचारी हैं और नेशनल कंपनी लॉ अपीलाट ट्राइब्यूनल में कंपनी के ख़िलाफ़ एक मुक़दमा भी लंबित है.