झीरम घाटी हमले का बड़ा खुलासा: लाखों का इनामी नक्सली कबीर ने किया सरेंडर

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बालाघाट/सुकमा। मध्यप्रदेश के बालाघाट में पुलिस के सामने हाल ही में आत्मसमर्पण करने वाला कुख्यात और लाखों का इनामी नक्सली कबीर उर्फ़ सुरेंद्र 2013 में हुए झीरम घाटी नक्सली हमले में शामिल था। बालाघाट पुलिस की पूछताछ में उसने इस बड़े अपराध का खुलासा किया है। पुलिस के मुताबिक कबीर ने स्वीकार किया है कि वह चैतू दादा के नेतृत्व में किए गए एंबुश का हिस्सा था।

 

मोस्ट वांटेड नक्सली कबीर का आतंक खत्म

25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ की राजनीति को झकझोर देने वाला झीरम घाटी हमला हुआ था। कांग्रेस के शीर्ष नेता जब दरभा घाटी से गुजर रहे थे, तभी अचानक IED धमाका हुआ और लगभग 200 माओवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

इस हमले में महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल सहित कई बड़े नेताओं की हत्या कर दी गई थी।

इसी हमले में कबीर उर्फ़ सुरेंद्र भी मौजूद था, जिसकी अब पहचान और भूमिका पूरी तरह सामने आ चुकी है।

छत्तीसगढ़-सुकमा से बालाघाट तक 12 साल की नक्सली गतिविधि

हमले के बाद कबीर 2014-15 में बालाघाट पहुंचा

कई दलमों में काम करता रहा

2021 में उसे केबी (कान्हा भोरमदेव) डिवीजन प्रमुख और एमएमसी ज़ोन का सचिव बनाया गया

परसवाड़ा दलम को फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रहा था

सुरक्षा बलों की नई रणनीति ने उसके नेटवर्क को तहस-नहस कर दिया

 

7 दिसंबर को किया सरेंडर

50 वर्षीय कबीर, जो MP, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तीनों राज्यों में मोस्ट वांटेड था,

6 दिसंबर की रात AK-47, 100 राउंड और 9 साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर चुका है।

बालाघाट में वह पिछले 12 वर्षों से सक्रिय था।

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