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NV News:- लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के पास दूसरा ब्रिज बना रहे चीन के कदम पर केंद्र सरकार ने प्रतिक्रिया दी है। केंद्र ने कहा कि हमने इसकी रिपोर्ट देखी है। चीन कब्जे वाले इलाके में पुल बना रहा है, जो कि अवैध है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम ड्रैगन की हरकतों पर नजर बनाए हुए हैं।
बागची ने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने को लेकर बातचीत चल रही है। LAC के बारे में हमारी लगातार वार्ता होती रहती है। चीन के विदेश मंत्री भी आए थे, हमारी अपेक्षाएं भी उनके आगे रखी गई। कोशिश रहेगी कि इसे आगे बढ़ाते रहें, बातचीत से समाधान निकालना पड़ेगा।
नए ब्रिज से जा सकेंगी बख्तरबंद गाड़ियां
चीन जिस नए ब्रिज का निर्माण कर रही है, उससे बख्तरबंद गाड़ियां भी जा सकेंगी। वहीं नया ब्रिज पुराने ब्रिज से बिल्कुल सटा हुआ है। पहले बने ब्रिज का उपयोग सर्विस ब्रिज की तरह किया जा रहा है। ड्रैगन ब्रिज का निर्माण दोनों साइड से करने में जुटा है। इसकी दूरी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से 20 किमी से अधिक है।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि चीन के गेम प्लान को समझा जा सकता है। ब्रिज बनाने का उद्देश्य रुडोक से होते हुए खुर्नाक से झील के दक्षिणी किनारों तक 180 किमी के लूप को कम करना है। इससे खुर्नाक से रुडोक तक का रास्ता 40-50 किमी कम हो जाएगा।
पैंगोंग त्सों के पास अप्रैल में तैयार हुआ था पहला ब्रिज
सूत्रों के मुताबिक चीन ने अप्रैल में पहले ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर लिया। जनवरी में इस ब्रिज के निर्माण की खबर सामने आई थी। इस ब्रिज से हल्के वाहन और आयुध की सप्लाई की जा रही है। चीन यह निर्माण इसलिए कर रहा है कि पैंगोंग झील पर भविष्य में भारत के साथ तकरार हो तो उसे रणनीतिक बढ़त मिल सके।
कब्जे वाली जमीन में चीन बना रहा ब्रिज
ब्रिज का निर्माण 1958 से चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में किया गया है। इसके लिए पहले से बना लिए गए ढांचे का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन ने इस जमीन पर 1958 के बाद से कब्जा कर रखा है। पैंगोंग त्सो लेक लद्दाख और तिब्बत के बीच है, जिसको लेकर दोनों देशों के बीच घमासान हो चुका है। भारत ने यहां चीन पर बढ़त हासिल कर रखी है। पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर भारत ने ऊंचाई वाले इलाकों पर पकड़ बनाए रखी है।
2020 से चीन-भारत के रिश्ते खराब
जून 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़पें हुई थी, जिसमें भारत और चीन दोनों के सैनिक मारे गए थे। इस घटना के बाद 15 से ज्यादा दौर की शांति वार्ता हो चुकी है। मगर, अभी तक दोनों के बीच सुलह नहीं हो सकी है। पैंगोंग त्सो झील का एक भाग तिब्बत और एक भाग लद्दाख में है। सीमा के दोनों ओर करीब 50 हजार से 60 हजार सैनिक जमा हैं।