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रायपुर। छत्तीसगढ़ में चल रही रेडी टू ईट योजना से महिला स्व सहायता समूह को बाहर कर दिया गया है। इसके चलते प्रदेश के करीब 30 हजार स्व सहायता समूह की 3 लाख से ज्यादा महिलाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। इसके बाद महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा है। जिसके विरोध में स्व सहायता समूह की महिलाएं लगातार विरोध कर रही है, और सरकार से मांग कर रही है कि रेडी टू ईट फूड की उत्पादन से लेकर वितरण तक स्व सहायता समूह को अधिकार वापस किया जाए।
बिलासपुर जिला अध्यक्ष संजीव ठाकुर ने वर्तमान सरकार को कोसते हुए कहा कि जो सरकार महिला शक्ति को सुदृढ़ करने की बातें करता है। लेकिन तीन लाख से ज्यादा महिलाओं की रोजगार छीन कर भूपेश सरकार ने यह साबित कर दिया कि नारी शक्ति की वादा सिर्फ एक ढोंग है।
महासमुंद से आयी सकून चंद्राकर ने सरकार से अनुरोध किया कि जो दायित्व हम महिला स्व सहायता समूह को दिया गया था अब वह राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को दे दिया गया है। यह हम महिलाओं के साथ अन्याय हैं। इस योजना को पूर्ववत महिला स्व सहायता समूह को सौंप दिया जाय।
आपको बता दें कि रेडी -टू- ईट फूड में गुणवत्ता को लेकर लगातार सवाल उठता आ रहा था। केंद्री की एक टीम ने 19 सौ सैंपल में 14 सौ से ज्यादा नमूनों के क्वालिटी खराब निकला। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को देने का फैसला किया था। जो अगले महीना यानी 2022 से लागू हो जाएगा।
दरअसल, पूरक पोषण आहार व्यवस्था के तहत टेक होम राशन में रेडी टू ईट फूड निर्माण महिला स्व सहायता समूह कर रहे थे। वही इसके वितरण की जिम्मेदारी भी संभालते। इन योजना में आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों से लेकर किशोरियों और शिशुवती महिलाओं को तैयार भोजन दिया जाता है। अब इस योजना को सेंट्रलाइज किया जा रहा है। इसके बाद राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित इकाइयों के माध्यम इसका निर्माण और वितरण किया जाएगा।
राज्य में यह योजना साल 2009 से संचालित है। इसके लिए 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट तय किया गया है। जिसे महिला बाल विकास विभाग के जरिए आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को दिए जाने वाले रेडी-टू ईट फूड पर खर्च किया जाता है। इसका बड़ा हिस्सा आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों पर जाता है। फूड में मिलाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में गेहूं का आटा, सोयाबीन, सोयाबीन तेल, शक्कर, मूंगफली, रागी और चना शामिल हैं।