P जैन में कंफ्यूजन ! पम्मी की जगह पीयूष जैन को पकड़ा, अब टर्नओवर बता मामले को रफा-दफा कर रही DGGI

जिस इत्र व्यापारी का संबंध कल तक विपक्ष के नेताओं से जोड़ा जा रहा था। अब उसी इत्र व्यापारी को सरकार के अफसरों द्वारा बचाए जाने की खबर आ रही है। इत्र कारोबारी पीयूष जैन के आनंदपुरी स्थित आवास से 177.45 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई थी।

डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने पीयूष जैन की इस नकदी को टर्नओवर का रकम मान लिया है। इस बात की पुष्टि डीजीजीआई की ओर से कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों से हुई है।

डीजीजीआई की इस करतब से पीयूष जैन सिर्फ पेनाल्टी की रकम अदा कर आसानी से जमानत पा सकते हैं। कुल मिलाकर बात ये है कि सरकार के अधिकरियों ने केस कमजोर कर दिया, जिसका सीधा फायदा पीयूष जैन को होने वाला है।

केस को कमजोर क्यों किया गया? किसके कहने पर किया गया? क्या पीयूष जैन को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है… ये सभी सवाल उठ तो रहे हैं लेकिन जवाब नहीं मिल पा रहा है।

कर विशेषज्ञों का कहना है कि 177 करोड़ कैश बरामदगी मामले में डीजीजीआई को केस न बनाकर आयकर को कार्रवाई करने और सीज करने के लिए बुलाना चाहिए था। इससे यह काली कमाई का मामला बनता और पूरी रकम पर टैक्स, पेनाल्टी और ब्याज लगता, जो सौ करोड़ से ज्यादा का होता। डीजीजीआई की चूक ने केस को बहुत कमजोर कर दिया है।

डीजीजीआई ने पीयूष का ट्रांजिट रिमांड भी नहीं मांगा। ऐसे में पीयूष आसानी से बाहर आ सकता है। वहीं इस मामले में शिखर पान मसाला पर केवल 3.09 करोड़ की कर चोरी का ही मामला बनाया गया है। इसकी देनदारी स्वीकार करके भुगतान भी कर दिया गया है।

P जैन में कंफ्यूजन!

डीजीजीआई की अबतक की जांच से ये साफ हो गया है कि इत्र कारोबारी पीयूष जैन का सपा एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी से कोई संबंध नहीं है। दोनों एक तरह का कारोबार जरूर करते हैं लेकिन अलग-अलग। गौरतलब है कि शुरूआत में भाजपा नेताओं द्वारा इस छापे को समाजवादी पार्टी से जोड़कर प्रचारित किया जा रहा था। लेकिन जबसे P जैन का कंफ्यूजन दूर हुआ है भाजपा इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से बचने लगी है।