किस बात की वजह से योगी आदित्यनाथ अयोध्या से नहीं लड़े चुनाव, राम मंदिर के पुजारी ने किया खुलासा

अयोध्या: आचार्य सत्येंद्र दास उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार गोरखपुर शहर सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। हालांकि इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें गोरखपुर से उम्मीदवार बनाया है। लेकिन अब ये सवाल उठने लगे हैं कि योगी अयोध्या सीट से चुनाव क्यों नहीं लड़े? वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि वे अयोध्या से चुनाव हार जाते इसलिए वहां से चुनाव नहीं लड़ रहे। लेकिन अब श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने खुलासा कर दिया है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या से चुनाव क्यों नहीं लड़ा?

आचार्य सत्येंद्र दास श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास सत्येंद्र दास ने कहा कि गोरक्षनाथ पीठ से उनका तीन पीढ़ियों से संबंध है, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि वह अयोध्या के बजाय गोरखपुर जनपद की किसी विधानसभा से चुनाव लड़े तो ज्यादा अच्छा होगा, क्योंकि यहां माहौल कुछ गड़बड़ था। साधु-समाज में भी एकता नहीं दिखाई दे रही थी और राम मंदिर का मार्ग बनाने के लिए और सड़क चौड़ीकरण के लिए कुछ घरों और दुकानों को तोड़े जाने को लेकर लोग नाराज भी थे। इन सब को देखते हुए उन्हें सुझाव दिया कि उनको अयोध्या से चुनाव लड़ने के बजाय गोरखपुर से चुनाव लड़ना चाहिए जिससे कोई संशय न रहे, उन्होंने इस सुझाव को माना यह अच्छी बात है।

हालांकि आचार्य सत्येंद्र दास ने आगे कहा कि वह मुख्यमंत्री हैं, कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो जीतेंगे ही। हमने यह सुझाव इसलिए दिया था कि कहीं कोई परेशानी होती तो बहुत शर्मनाक बात होती। अयोध्या जहां योगी आदित्यनाथ 40 से अधिक बार अपने मुख्यमंत्री काल में आए, उसी अयोध्या से चुनाव न लड़ने की राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की यह सलाह निश्चित ही चौंकाने वाली है।

रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा जब मीडिया के माध्यम से यह बात पता चला कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे तो यहां का माहौल देखकर हमने एक सुझाव दिया था कि यहां की अपेक्षा वह गोरखपुर से लड़ें। वैसे वह मुख्यमंत्री हैं, किसी भी जगह से लड़ते उनकी विजय होने में कोई संशय नहीं था, लेकिन यहां का माहौल कुछ गड़बड़ था। साधु समाज में भी एकता नहीं दिखाई दी। उन्होंने यह स्वीकार किया। उन्होंने हमारे इस सुझाव को माना और गोरखपुर सदर से लड़ रहे हैं, यह अच्छी बात है।