CG Cyber Crime: सावधान! डिजिटल अरेस्ट के नाम पर करोड़ों की ठगी, अब CBI करेगी जांच…NV News
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रायपुर/(CG Cyber Crime):छत्तीसगढ़ में पिछले छह महीनों में “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर चल रहे ऑनलाइन ठगी के मामलों ने हड़कंप मचा दिया है। साइबर अपराधियों ने 15 से अधिक पीड़ितों से लगभग 9 करोड़ रुपये की ठगी की है। अब इन सभी मामलों की जांच CBI को सौंपी जा रही है।
राज्य के अलग-अलग जिलों रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, राजनांदगांव और जांजगीर-चांपा में लोग इन गिरोहों के शिकार बने हैं। पुलिस ने अब तक 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो गुजरात, उत्तर प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से जुड़े हैं। पुलिस ने अब तक करीब 2.30 करोड़ रुपये पीड़ितों को वापस दिलाए हैं।
कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट घोटाला:
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का एक नया तरीका है। इसमें अपराधी खुद को CBI, ED, या आयकर विभाग के अधिकारी बताकर लोगों को धमकाते हैं। वे कहते हैं कि आपके नाम पर कोई अपराध दर्ज है या किसी पार्सल में अवैध सामान मिला है।
इसके बाद अपराधी WhatsApp, Skype या वीडियो कॉल के जरिए पीड़ित से संपर्क करते हैं। वे एक फर्जी “डिजिटल गिरफ्तारी वारंट” दिखाते हैं और कहते हैं कि मामला रफा-दफा करने के लिए कुछ रकम जमा करनी होगी। कुछ मामलों में तो वीडियो कॉल के दौरान फर्जी पुलिस स्टेशन या ऑफिस का सेटअप दिखाया जाता है ताकि पीड़ित को सब कुछ असली लगे।
लोग डर के मारे अपनी बैंक डिटेल, UPI या अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर देते हैं और ठग मिनटों में करोड़ों उड़ा लेते हैं।
छत्तीसगढ़ के बड़े मामले:
• रायपुर: 63 वर्षीय महिला को 20 दिन “डिजिटल अरेस्ट” में रखकर ₹2.83 करोड़ की ठगी।
• सेजबहार: सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर से ₹88 लाख की ठगी।
• बिलासपुर: 72 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्मचारी से तीन महीने में ₹1.09 करोड़ ऐंठे गए।
• जांजगीर-चांपा: रिटायर्ड लिपिक से ₹32 लाख की ठगी।
• कोण्डागांव और सरगुजा: कुल ₹1.3 करोड़ की ठगी की गई।
रायपुर में पकड़े गए ठगी गैंग:
• डिजिटल अरेस्ट गैंग 18
• कंबोडिया गैंग 06
• चाइना-हांगकांग गैंग 27
• म्यूल अकाउंट गैंग 168
• पीओएस गैंग 19
• शेयर ट्रेडिंग गैंग 95
• मेट्रोमोनियल गैंग 16
• नाइजीरियन गैंग 03
• कुल 352
इन गैंग्स के तार देश और विदेश तक फैले हैं। पुलिस लगातार इन नेटवर्क्स को ट्रैक कर रही है और जांच एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाया जा रहा है।
बचाव के तरीके, ऐसे बचें डिजिटल गिरफ्तारी से:
1.1930 पर तुरंत कॉल करें,यह नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर है।
2.यदि कॉल रिसीव न हो, तो www.cybercrime.gov.in पर जाकर शिकायत दर्ज करें।
3.ठगी से जुड़े सभी स्क्रीनशॉट, चैट और बैंक डिटेल्स सुरक्षित रखें।
4.कोशिश करें कि शिकायत 1 से 3 घंटे के भीतर करें, तभी पैसे वापस मिलने की संभावना रहती है।
5.अनजान लिंक या ऐप डाउनलोड न करें, चाहे वे सरकारी नाम से ही क्यों न आएं।
6.किसी भी एजेंसी का नाम लेकर कॉल आए तो घबराएं नहीं, बल्कि नंबर ब्लॉक करें या कॉल काट दें।
7.वीडियो कॉल पर पहचान पत्र या दस्तावेज़ न दिखाएं,ठग इन्हीं का दुरुपयोग करते हैं।
CBI की एंट्री और आगे की कार्रवाई:
राज्य सरकार ने अब इन सभी मामलों की जांच CBI को सौंपने का निर्णय लिया है। सीबीआई साइबर सेल के साथ मिलकर अंतरराज्यीय नेटवर्क, मनी ट्रेल और टेक्निकल ट्रांजेक्शन की जांच करेगी।
रायपुर साइबर रेंज प्रभारी मनोज नायक का कहना है, “डिजिटल अरेस्ट गिरोह अलग-अलग राज्यों में बैठकर संगठित रूप से काम कर रहे हैं। अब तक सैकड़ों अकाउंट्स और मोबाइल नंबर ट्रेस किए जा चुके हैं। आगे और गिरफ्तारियां होंगी। सबसे जरूरी है कि लोग सावधान और जागरूक रहें।”
“डिजिटल अरेस्ट” जैसे साइबर अपराध अब देशभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। डर और भ्रम का फायदा उठाकर अपराधी लोगों से करोड़ों वसूल रहे हैं। ऐसे में जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।
किसी भी संदिग्ध कॉल पर कानूनी धमकी या पैसे की मांग की जाए तो विश्वास न करें, रिपोर्ट करें।याद रखें, कोई भी सरकारी एजेंसी कभी वीडियो कॉल या ऑनलाइन माध्यम से गिरफ्तारी नहीं करती।
