CG DMF Scam: फर्जी बिल, बिना टेंडर काम,और अब ED की सख्ती…NV News

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रायपुर/(CG DMF Scam): छत्तीसगढ़ में 575 करोड़ रुपये के डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) घोटाले की जाँच अब और गहराई में जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में कई पूर्व कलेक्टरों के अलावा सप्लायरों और जिला अधिकारियों की भी भूमिका पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जांच एजेंसी के हाथ ऐसे दस्तावेज और सबूत लगे हैं, जो यह संकेत देते हैं कि इसे सिर्फ सप्लायर-ठेकेदार की मिलीभगत नहीं कहकर टाला नहीं जा सकता।

जाँच में नया मोड़,पूर्व कलेक्टर अब निशाने पर:

डीएमएफ फंड की निगरानी एवं स्वीकृति प्रक्रिया जिला स्तर पर ही होती है, इसलिए कलेक्टर और अन्य अधिकारियों की जवाबदेही को भी अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सूत्र बताते हैं कि कई मामलों में बिना टेंडर काम आवंटन, तय दर से अधिक मूल्य पर सामग्री आपूर्ति, अधूरे कामों का भुगतान और फर्जी बिलों पर भारी रकम के लेन-देने की जानकारी हाथ लगी है। ऐसी अनियमितताओं को मंजूरी जिला कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की नापाक भूमिका के बिना संभव नहीं माना जा रहा।

ईडी की जांच अब उन सप्लायरों पर भी केंद्रित हो गई है, जिनसे आशंका है कि उन्होंने अधिकारियों से मिलीभगत कर बड़े पैमाने पर अवैध लाभ उठाया।

सप्लायर-अधिकारियों की मिलीभगत,12 से अधिक नाम लगे जांच में:

जांच एजेंसी को अब तक 12 से अधिक सप्लायरों के मिलावट एवं गड़बड़ी के प्रमाण मिले हैं। ये प्रमाण मोबाइल चैट, बैंक लेन-देने की डीटेल, ईमेल रिकॉर्ड आदि हैं। ऐसे संकेत हैं कि सप्लायरों ने इस घोटाले में मुनाफे के लिए अधिकारियों के साथ गठजोड़ किया। इन सप्लायरों से पूछताछ जारी है, और ईडी उनकी भूमिका की गहराई तक जांच कर रही है।

ऐसा अनुमान है कि इस पूरे घोटाले में राजनीतिक-संचालकीय गठजोड़ भी शामिल हो सकता है। आने वाले दिनों में जांच कई बड़े नामों तक पहुंच सकती है।

आरोपियों की सूची,कौन कब कहा था शामिल:

• इस मामले में पहले ही निलंबित आईएएस रानू साहू को पकड़ा गया था।

• माया वारियर (आदिवासी विभाग की सहायक आयुक्त) को भी इस घोटाले में शामिल किया गया।

• आरोपियों की सूची में सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, मनोज द्विवेदी, भरोसा राम ठाकुर, भुनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा, वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल हैं।

• जबकि संजय शेंडे, ऋषभ सोनी, राकेश कुमार शुक्ला जैसे नाम अभी गिरफ्त से बाहर बताए जा रहे हैं।

चौंकाने वाले सबूत और कार्रवाई:

1.घेरा फैला छापेमारी: ईडी ने रायपुर, दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में कुल 18 स्थानों पर सप्लायर, ठेकेदार और मध्यस्थों के ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया।इनमें उन लोगों के आवास और कार्यालय शामिल थे, जिनके खिलाफ संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली थी।

2.Beej Nigam के माध्यम से धनवा हेरफेर ?: शुरुआती जांच में सामने आया है कि DMF फंड का बड़ा हिस्सा छत्तीसगढ़ बीज निगम (Beej Nigam) के द्वारा हथियाया गया हो सकता है। यानी, नकदी का प्रवाह सरकारी एजेंसाओं के माध्यम से घुसाया गया हो सकता है, जिससे कागजी दस्तावेजों में गड़बड़ी करना आसान हुआ।

3.हाईकोर्ट ने बांग निकाल दी जमानतें: पूर्व कोरबा कलेक्टर रानू साहू, पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया, NGO संचालक मनोज़ द्विवेदी और मध्‍यस्थ सूर्यकांत तिवारी को जमानत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने उनके आरोपों की गंभीरता को देखते हुए आवेदन खारिज किए।

4.6000 पन्नों का आरोप पत्र: छत्तीसगढ़ की EOW ने इस मामले में 6000 पेज का आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया है, जिसमें बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों का नाम भी शामिल है।

भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ:

• अब सवाल यह है कि पूर्व कलेक्टरों के खिलाफ कितनी कार्रवाई होगी और वे कितने जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।

• सप्लायरों और अधिकारियों की मिलीभगत का पुराना नेटवर्क कितना गहरा है,यह जांच का मुख्य मोर्चा रहेगा।

• राजनीतिक प्रभाव और दबाव इस जांच की दिशा बदल सकते हैं।

• यदि बड़े नामों पर कार्रवाई हुई, तो राज्य प्रशासन तंत्र में हिला देने वाली घटनाएं हो सकती हैं।

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