Share this
N.V.News रायपुर: छत्तीसगढ़ में 5967 पदों पर हो रही आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और फर्जीवाड़े की घटनाओं ने राज्य में हड़कंप मचा दिया है। राजनांदगांव में गड़बड़ी की वजह से 528 पदों की भर्ती को निरस्त करना पड़ा है। इस गड़बड़ी में शामिल एक पुलिसकर्मी द्वारा आत्महत्या करने की घटना ने मामले को और गंभीर बना दिया है।
आत्महत्या से पहले पुलिसकर्मी ने अपने हाथों पर लिखा था कि बड़े अधिकारियों को बचाया जा रहा है और छोटे कर्मचारियों को फंसाया जा रहा है। इस घटना के बाद सरकार ने राजनांदगांव की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर इसकी जांच के आदेश दिए।
इस मामले के उजागर होने के बाद अन्य जिलों में भी आरक्षक भर्ती प्रक्रिया की जांच की मांग उठ रही है। प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आरोप है कि फिजिकल टेस्ट, जैसे ऊंची कूद और लंबी दौड़ में, कई अभ्यर्थियों को संदेहास्पद रूप से पूर्ण अंक दिए गए हैं। परीक्षार्थी वीडियो फुटेज की रिकॉर्डिंग की जांच की मांग कर रहे हैं ताकि फर्जीवाड़ा उजागर हो सके।
राजनांदगांव की तरह बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, सूरजपुर और अन्य जिलों की भर्ती प्रक्रियाओं को भी संदिग्ध बताया जा रहा है। परीक्षार्थी पूरे राज्य में आरक्षक भर्ती की गहन जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके और पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
अन्य जिलों की भर्ती प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में:
राजनांदगांव में गड़बड़ी सामने आने के बाद बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, सूरजपुर और अन्य जिलों की भर्ती प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठने लगे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि इन जिलों में भी फिजिकल एग्जाम के दौरान पारदर्शिता का अभाव रहा है।
आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि शारीरिक परीक्षण में कई उम्मीदवारों को अनुचित लाभ दिया गया है। प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आरोप है कि फिजिकल टेस्ट, जैसे ऊंची कूद और लंबी दौड़ में, कई अभ्यर्थियों को संदेहास्पद रूप से पूर्ण अंक दिए गए हैं। परीक्षार्थी ऊंची कूद और लंबी दौड़ के दौरान वीडियो फुटेज की रिकॉर्डिंग की जांच की मांग कर रहे हैं ताकि फर्जीवाड़ा उजागर हो सके। अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि पूरे राज्य में आरक्षक भर्ती की जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए।
प्रतियोगी अभ्यर्थियों की मांग:
राज्यभर के अभ्यर्थी अब पूरे भर्ती तंत्र की गहन जांच की मांग कर रहे हैं, राजनादगांव जिले की तरह अन्य जिलों की आरक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द किया जाए। उनका कहना है कि यदि निष्पक्ष जांच नहीं की गई, तो योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा और सरकार व प्रशासन की साख को ठेस पहुंचेगी।
राज्य सरकार के सामने अब यह सुनिश्चित करने की चुनौती है कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे। राजनांदगांव की घटना ने प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियां न हो।
छत्तीसगढ़ की आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा न केवल प्रशासनिक प्रणाली की खामियों को उजागर करता है, बल्कि लाखों युवाओं की उम्मीदों और विश्वास को भी ठेस पहुंचाता है। इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई से ही स्थिति को सुधारा जा सकता है। इसके साथ ही, राज्य सरकार को भविष्य में पारदर्शी और भरोसेमंद भर्ती प्रक्रियाओं को लागू करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। सरकार के लिए यह मामला न केवल प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल उठाता है, बल्कि लाखों युवाओं की उम्मीदों से भी जुड़ा है। ऐसे में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करना आवश्यक है।