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NV NEWS: राष्ट्रवादी कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव राम अवतार जग्गी हत्याकांड के शूटर चमन सिंह और विनोद राठौड़ ने सोमवार को रायपुर के विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। वहीं इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से 3 सप्ताह के लिए याहया ढेबर, क्राइम ब्रांच के तत्कालीन प्रभारी आरसी त्रिवेदी, तत्कालीन सीएसपी अमरीक सिंह गिल, तत्कालीन मौदहा पारा थाना प्रभारी वीके पांडे व अन्य को राहत दी गई है। हालांकि विचरण कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद इस मामले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट निचली कोर्ट के फैसले को यथावत रखा था। इसके खिलाफ दोषी बनाए गए 28 लोगों ने अपील की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले की 4 अप्रैल को सुनवाई करते हुए दोषियों की अपील खारिज कर दिया था।
हत्याकांड में दोषी बनाए गए अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।
जिला कोर्ट में परिसर में राम अवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि 10 और 11 तारीख के बीच में सभी दोषियों को सरेंडर करना था। लेकिन आज सरेंडर करने की जानकारी मिलने के बाद अपने अधिवक्ता के साथ वह कोर्ट आए हैं। सुप्रीम कोर्ट 5 दोषियों को राहत मिलने यह संबंध में उन्होंने कहा की सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्होंने अभी देखा नहीं है। इस प्रकरण में कुछ दिनों की मोहलत मिल सकती है लेकिन स्थाई रूप से राहत नहीं।
चुनाव के पहले 4 जून 2003 को एनसीपी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष राम अवतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिनमें से बुलटू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। इसमें से दो लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं पूर्व सीएम अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 को आजीवन कारावास से दंडित किया गया है। वही अमित जोगी बाद में बरी हो गए थे।