Share this
पेरिस: पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) से लड़ रही है, ऐसे में COVID के एक और वेरिएंट IHU ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है
IHU को समझने के लिए लगातार शोध हो रहे हैं. यह वेरिएंट फ्रांस में मिला है. बता दें कि वायरस समय के साथ म्यूटेशन करते हैं और विभिन्न स्ट्रेन उत्पन्न करते करते हैं, ताकि वो जीवित रह सकें. कोरोना के मामले में भी यही हो रहा है.
मुश्किल हो जाता है लड़ना
‘मिरर’ की रिपोर्ट के अनुसार, जब वायरस (Virus) अपने नए रूप में सामने आता है, तो उससे लड़ना और भी मुश्किल हो जाता है. क्योंकि जरूरी नहीं कि उस पर वो ट्रीटमेंट और वैक्सीन असर करे, जो पिछले वाले वेरिएंट कर रही थी. यह भी संभव हो सकता है कि नया वेरिएंट पुराने वेरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक हो. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि IHU कितना खतरनाक है और इससे कितना डरने की जरूरत है?
ओमिक्रॉन से ज्यादा म्यूटेंट
दक्षिण फ्रांस के मासै (Marseille) स्थित IHU Mediterranee Hospital के शोधकर्ताओं ने इसका पता लगाया है, इसलिए कोरोना के इस वेरिएंट को IHU नाम दिया गया है. फ्रांस में इसके कुल 12 मामले मिले हैं. संक्रमित लोगों में सात वयस्क और पांच बच्चे हैं. शोध में पता चला है कि इस वेरिएंट के 46 म्यूटेंट हैं, जो ओमिक्रॉन की तुलना में ज्यादा हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस के इस वेरिएंट को लेकर ज्यादा कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी.
ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फिलहाल इसे ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ नहीं माना है. शुरुआती परिणामों से इसके ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ होने की संभावना कम दिखाई देती है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि अब तक के रिसर्च के मुताबिक, कोरोना के इस वेरिएंट को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. यह ओमिक्रॉन से पहले का है, जिस पर अब दुनिया का ध्यान गया है.
ये हैं IHU के लक्षण
जहां तक लक्षणों की बात है, तो IHU वेरिएंट के अध्ययन से पता चला कि जो पहला व्यक्ति इससे पीड़ित पाया गया, उसमें केवल हल्के श्वसन लक्षण विकसित हुए थे. आधिकारिक तौर पर B.1.640.2 के रूप में पहचाना गया ये वेरिएंट पहली बार नवंबर में फ्रांस में सामने आया था और जो व्यक्ति सबसे पहले इससे संक्रमित हुआ था वो कैमरून की यात्रा से लौटा था. इम्पीरियल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक का कहना है कि इस वेरिएंट के पास अच्छी-खासी परेशानी पैदा करने का मौका है, लेकिन सौभाग्य से अब तक ऐसा देखने में नहीं आया है. वहीं, अमेरिकी महामारी विज्ञानी एरिक फीगल-डिंग ने कहा कि वायरस के नए वेरिएंट समय-समय पर सामने आते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि हर वेरिएंट खतरनाक हो.