आपसी सहमति से तलाक के बाद भी पत्नी को मिलेगा भरण-पोषण: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला

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NV News Bilaspur: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि आपसी सहमति से तलाक लेने के बाद भी पत्नी को भरण-पोषण का अधिकार रहेगा। जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने यह निर्णय तलाक और भरण-पोषण से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए दिया।

मामले में पति-पत्नी ने आपसी सहमति से तलाक लिया था, जिसके बाद पत्नी ने भरण-पोषण की मांग करते हुए आवेदन दिया। पति का तर्क था कि तलाक आपसी सहमति से हुआ है, इसलिए अब वह भरण-पोषण देने का जिम्मेदार नहीं है। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और साफ कहा कि जब तक तलाकशुदा पत्नी की दोबारा शादी नहीं हो जाती, वह अपने पूर्व पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही पति-पत्नी के बीच आपसी सहमति से रिश्ता खत्म हो गया हो, पति की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी पूर्व पत्नी का भरण-पोषण करता रहे, यदि वह स्वयं सक्षम नहीं है।

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आपसी सहमति से तलाक:
यह एक ऐसा तलाक है जहाँ पति और पत्नी दोनों इस बात पर सहमत होते हैं कि वे अब साथ नहीं रहना चाहते और विवाह को समाप्त करना चाहते हैं.

भरण-पोषण:
भरण-पोषण एक कानूनी दायित्व है जिसके तहत एक पति या पत्नी को अपने पूर्व जीवनसाथी को वित्तीय सहायता प्रदान करनी होती है.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि भले ही पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेते हैं, लेकिन पति को अपनी पत्नी को भरण-पोषण देना होगा.

भरण-पोषण का अधिकार:
यह भरण-पोषण का अधिकार तब तक बना रहता है जब तक कि पत्नी की दूसरी शादी नहीं हो जाती.

 

 

इस फैसले को महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि तलाक के बाद भी पत्नी की आर्थिक सुरक्षा बनी रहे।

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