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NV News,रायपुर : एडसमेटा कांड को लेकर छत्तीसगढ़ में मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को जब एक बार फिर से सदन की कार्यवाही शुरू होगी तो इसको लेकर सियासत देखने को मिल सकती है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के 6वें दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एडसमेटा कांड न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में रखेंगे तो दूसरी तरफ विपक्ष ने इसको लेकर कमर कस ली है और सरकार को घेरने की रणनीति भी बन चुकी है। माना जा रहा है कि रिपोर्ट पेश होने के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी पारा और ज्यादा बढ़ सकता है।
दरअसल, 17-18 मई 2013 की रात में बीजापुर के एडसमेटा गांव में ग्रामीण बीज पंडुम मनाने के लिए जुटे हुए थे। तभी नक्सल ऑपरेशन में निकले जवानों ने ग्रामीणों को नक्सली समझ कर गोलीबारी कर दी थी। इस गोलीबारी में चार नाबालिग समेत कुल आठ लोग मारे गए थे। इस घटना पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल की कमेटी ने जांच रिपोर्ट के फैसले के आधार पर बताया गया था कि मारे गए सभी लोग ग्रामीण थे। उनका नक्सलियों से कोई कनेक्शन नहीं था।
रिपोर्ट सामने आई तो मचेगा बवाल
जस्टिस वीके अग्रवाल ने पिछले साल सितंबर में में ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट को कैबिनेट की बैठक में पेश करने के बाद अब विधानसभा में सबके सामने पेश करने की तैयारी है। रिपोर्ट सामने आने के बाद 17 मई 2013 की उस रात जो हुआ था, उसका सच सबसे सामने आ जाएगा। उस रात जवानों की फायरिंग में आठ ग्रामीणों की मौत हुई थी, जिसमें चार बच्चे भी शामिल थे। हालांकि सुरक्षाबलों का दावा था कि वहां नक्सली थे। उन्होंने ग्रामीणों को ढाल बनाया और फिर क्रॉस फायरिंग में उनकी मौत हुई। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि वे उस रात बीज पंडुम उत्सव मनाने वहां आए थे। वहां कोई नक्सली नहीं था। वहीं माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद सियासत एक बार फिर गरमा सकती है।
क्या है ग्रामीणों की मांग
इस घटना के बाद से ही ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि एडसमेटा गोली कांड के मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ और घायलों को 50-50 लाख रुपए का सरकार मुआवजा दे। ग्रामीणों की इसी मांग पर लगातार सियासत हो रही है। राज्य में अगले साल चुनाव है, ऐसे में यह मुद्दा काफी बढ़ भी सकता है।