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कुरुक्षेत्र:- धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में संत रविदास का विश्व में सबसे बड़ा और भव्य धाम बनेगा। पांच एकड़ में बनने वाले इस धाम में संत रविदास के मंदिर के साथ एक लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब बनाने की भी योजना है।
उमरी पंचायत की ओर से धाम के निर्माण के लिए पांच एकड़ पंचायती भूमि देने का प्रस्ताव भी डाला गया है। इस धाम का निर्माण हरियाणा सरकार की ओर से कराया जाएगा। धाम के निर्माण में जजपा और भाजपा दोनों की ओर से दिलचस्पी दिखाई गई है, लेकिन दो साल बाद भी काम शुरू नहीं होने से समाज के लोगों में रोष है।
बता दें डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने दो साल पहले कलायत में गुरु रविदास की 643वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कुरुक्षेत्र में भव्य रविदास धाम बनाने का ऐलान किया था। यह वादा जजपा के चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया गया था। वहीं सीएम मनोहर लाल ने पहले प्रदेश में गठबंधन सरकार (जजपा-भाजपा) के सौ दिन पूरा होने के उपलक्ष्य में कुरुक्षेत्र में रविदास धाम बनाने की घोषणा की थी। ऐलान के बाद इस योजना को साकार करने के लिए उमरी पंचायत की ओर से भूमि देने का प्रस्ताव डाला गया था, मगर उसके बाद से योजना पर कोई काम नहीं चल रहा है। इससे पूरे रविदास समाज में सरकार के खिलाफ रोष है। इस मामले को लेकर श्री गुरु रविदास मंदिर एवं धर्मशाला कुरुक्षेत्र की पूर्व कार्यकारिणी कई बार डिप्टी सीएम और सीएम मनोहर लाल से मुलाकात कर चुकी है। सभा के पूर्व प्रधान रणपत माथुर ने बताया कि सरकार ने कुरुक्षेत्र में रविदास धाम बनाने का ऐलान किया था। आरोप लगाया कि ऐलान के बाद सरकार योजना में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। इस मामले को लेकर उनकी सभा के लोग कई बार सीएम मनोहर लाल से मिल चुके हैं। सभा के प्रयास से गांव उमरी में पंचायती जमीन देने का प्रस्ताव भी पास हो गया था, मगर सरकार के ऐलान के दो साल बाद भी योजना को सिरे नहीं चढ़ाया गया।
संत रविदास 1515 ई. में पहुंचे थे कुरुक्षेत्र
मान्यता है कि 1515 ई. में संत रविदास कुरुक्षेत्र पहुंचे थे। दरअसल, मीराबाई जी से मुलाकात करने के बाद संत रविदास चितौड़गढ़ से दिल्ली पहुंचे थे। उनके साथ मीराबाई की सास झालाबाई भी थीं। संत रविदास दिल्ली से खुरालगढ़ (पंजाब) मीराबाई के पति राणा सांगा के रिश्तेदार बन सिंह से मिलने जाते समय एक रात के लिए कुरुक्षेत्र में रुके थे। संत रविदास जिस स्थान पर रुके थे आज उस जगह पर ही गुरु रविदास जी का मंदिर और धर्मशाला बनी हुई है।