श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के 5 हजार पैरामेडिकल विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट

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NV News :रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के धनेली (माना) स्थित श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के करीब 5,000 पैरामेडिकल विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद इन विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है, जिससे छात्रों में गहरा असंतोष है। यह मामला अब छात्रों के भविष्य के साथ-साथ प्रशासनिक भ्रम और विभागीय टकराव का विषय बन गया है।

दरअसल, विश्वविद्यालय में बीएमएलटी (बैचलर ऑफ मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी), डीएमएलटी (डिप्लोमा इन मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी), डायलिसिस और आप्टोमेट्री जैसे कोर्स संचालित हो रहे हैं। ये सभी कोर्स राज्य सरकार के 6 अप्रैल 2022 को प्रकाशित राजपत्र में मान्यता प्राप्त हैं। इन कोर्सों का एक बैच पासआउट भी हो चुका है, लेकिन अब तक विद्यार्थियों का पैरामेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, जिससे वे इंटर्नशिप, नौकरी और उच्च शिक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।

कोर्ट के आदेश पर भी जारी है टालमटोल

हाल ही में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 59 विद्यार्थियों के पक्ष में रजिस्ट्रेशन के निर्देश दिए थे। इसके बाद यह उम्मीद जगी थी कि सभी विद्यार्थियों का एक साथ पंजीयन हो जाएगा। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि हर विद्यार्थी को अलग-अलग आदेश लाना होगा। वहीं, विश्वविद्यालय प्रबंधन का तर्क है कि जब कोर्ट का आदेश आया है तो वह सभी विद्यार्थियों पर समान रूप से लागू होना चाहिए। यही मतभेद विद्यार्थियों की सबसे बड़ी परेशानी का कारण बन गया है।

विद्यार्थियों का विरोध प्रदर्शन

मंगलवार को छात्रों ने रजिस्ट्रेशन की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार का घेराव किया। छात्रों ने श्रीफल देकर सांकेतिक विरोध जताया और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वे कलेक्ट्रेट घेराव करेंगे। छात्रों का कहना है कि वे लाखों रुपये खर्च कर पढ़ाई कर चुके हैं, लेकिन रजिस्ट्रेशन न होने से उनका भविष्य अंधकारमय है।

विद्यार्थियों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी अवैध संस्थान से नहीं, बल्कि राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे हैं। उनके अनुसार, बीएमएलटी और डायलिसिस कोर्स तीन वर्षीय, डीएमएलटी दो वर्षीय और आप्टोमेट्री एक वर्षीय है।

विश्वविद्यालय और विभागों का मतभेद

श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के सीपीआरओ राजेश तिवारी का कहना है कि कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद काउंसिल विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन नहीं कर रही है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय लगातार प्रयास कर रहा है कि तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए, लेकिन छात्रों को मान्यता नहीं मिलने से यह प्रयास प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि वह काउंसिल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित कराए।

दूसरी ओर, राज्य चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. यूएस पैकरा ने स्पष्ट कर दिया है कि इन पाठ्यक्रमों से चिकित्सा शिक्षा विभाग का कोई संबंध नहीं है और इसकी जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल की है। इस बयान से स्पष्ट है कि विभागीय भ्रम और जिम्मेदारियों के बीच टकराव के चलते विद्यार्थी पिस रहे हैं।

विद्यार्थियों का भविष्य अधर में

रजिस्ट्रेशन की अनुपलब्धता के चलते विद्यार्थी न तो इंटर्नशिप कर पा रहे हैं, न ही सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी के लिए पात्र माने जा रहे हैं। साथ ही, कई छात्र ऐसे भी हैं जो आगे एमएससी या अन्य उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना चाहते हैं, लेकिन बिना रजिस्ट्रेशन उन्हें कोई भी संस्थान स्वीकार नहीं कर रहा।

निष्कर्ष

यह मामला सिर्फ एक संस्थान के विद्यार्थियों का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा प्रणाली की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है। सरकार और संबंधित विभागों को इस समस्या का त्वरित समाधान निकालना होगा, ताकि विद्यार्थियों के भविष्य को और अधिक नुकसान न हो। यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो यह आंदोलन का रूप ले सकता है और प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।

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