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NV News रायपुर: Sanjeevani Hospital: यह बात दिलों की है, 30 हजार दिलों की। बात दिल में जन्मजात छेद वाले बच्चों की है, जिन्हें नया जीवन मिल रहा है। कल्पना ही की जा सकती है कि इन बच्चों के माता-पिता के दिल कैसे धड़क रहे होंगे। नवा रायपुर स्थित श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल बिना बिल (खर्च) के दिलों को ठीक करने का पर्याय बन गया है। इलाज के साथ ही रहने और खाने की निश्शुल्क व्यवस्था संस्था के प्रति श्रद्धा और विश्वास को बढ़ाती जा रही है।
यही कारण है कि देश के कोने-कोने से प्रतिदिन 200 जोड़ियों को यहां अपने-अपने कलेजे के टुकड़े के साथ पहुंचते देखा जा सकता है। रायपुर रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर क्रिकेट स्टेडियम के निकट इस अस्पताल से मुस्कुराते हुए लौटते भी मिलते हैं। चीफ पीडिऐट्रिक कार्डिक सर्जन डा. रागिनी पांडे के नेतृत्व में 70 से अधिक समर्पित डाक्टरों की पूरी टीम कार्यरत है।
प्रतिदिन दस से 12 आपरेशन कर बच्चों के दिल का छेद बंद किया जा रहा है। सूत्रधार की भूमिका में श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल के अध्यक्ष डा. सी श्रीनिवास हैं। वही अस्पताल संचालन के लिए प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये प्रबंध की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। नवा रायपुर से शुरू हुए अस्पताल की दो शाखाएं महाराष्ट्र के मुंबई और हरियाणा के पलवल में लक्ष्य को संपूर्णता प्रदान करने जा रही हैं।
बिहार के गया जिले के छोटे से गांव में रहने वाले रामकुमार के घर बीस महीने पहले बेटे का जन्म हुआ लेकिन कुछ ही दिन में पता चला कि उनकी बेटे के दिल में छेद है। खेती-किसानी करने वाले राम के पास इतना पैसा नहीं था कि बच्ची का महंगा इलाज करा पाते। ऐसे में उन्हें किसी ने श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल का पता दिया तो वह बिना देर किए अपनी बेटे को लेकर चले आए।
Sanjeevani Hospital
राम ने बताया कि जल्द ही बेटे का आपरेशन होना है। राम की ही तरह देश ही नहीं विदेशों से बच्चों के इलाज के लिए लोग आते हैं। देश के 400 से अधिक जिलों के लोग यहां पहुंचकर बच्चों का इलाज करा चुके हैं। फरवरी-2014 से इसे चाइल्ड हार्ट केयर सेंटर में बदल दिया गया।
200 बच्चों की प्रतिदिन होती है जांच Sanjeevani Hospital
100 बेड के श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल में प्रतिदिन 200 बच्चों की जांच होती है, जिसमें 30 से 35 नए होते हैं। यहां पर बच्चों की जांच की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसमें से एक हाई क्वालिटी की फीटल इकोकार्डियोग्राफी भी है। डाक्टरों का कहना है कि गर्भवास्था के समय मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को फीटल कहा जाता है।
अल्ट्रासाउंड की मदद से शिशु के दिल की जांच और धड़कनों का पता लगाया जाता है। गर्भ में शिशु के दिल की बनावट में किसी प्रकार की कमी या फिर हार्ट बीट असामान्य होने पर तुरंत पता चल जाता है। समस्या लेकर आने वाले लोग संतुष्ट होकर जाते हैं।
नवा रायपुर के श्री सत्य साई संजीवनी अस्पताल के चेयरमैन डा. सी श्रीनिवास ने कहा, अस्पताल पहुंचने वालों में 90 प्रतिशत गरीब परिवार के बच्चे होते हैं, जो इलाज कराने में असमर्थ होते हैं। प्रदेश में सिकल सेल की बीमारी भी बड़ी समस्या है। 700 से अधिक सिकल सेल पीड़ित बच्चों की निश्शुल्क सर्जरी हो चुकी है। यहां पर मदर एंड हेल्थ केयर भी संचालित हो रहा है।