Share this
N.V. न्यूज़ रायपुर : संविदा में नियुक्त अधिकारी/कर्मचारी विभाग में स्वीकृत पदो के विरूद्व नियोजित है तथा स्वीकृत पदो के विरूद्ध बजट प्रावधानित है। अतः पृथक से बजट प्रावधान की आवश्यकता नहीं होती है। मंहगाई सूचकांक में लगातार अधिक वृद्धि हुई है, जो कि बाजार में स्पष्ट रूप में देखने को मिल रहा है।
1. नियमित शासकीय सेवकों के मंहगाई भत्ते में 01 जनवरी 2019 के पश्चात् जुलाई 2021 में 05 प्रतिशतए मई 2022 में पुनः 05 प्रतिशत तथा माह अगस्त में पुनः 06 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
2. कलेक्टर दर पर नियुक्त कर्मचारियों के वेतन में भी प्रत्येक छः माह में वेतन वृद्धि किया जाता है।
संविदा वेतन की दरों में वृद्धि हुए 03 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। नियमित शासकीय कर्मचारियों के मंहगाई भत्तें में दो से तीन बार 16 प्रतिशत की वृद्वि 2021-22 एवं 2022-23 में हुई है।
नियमित कर्मचारियों की तरह ही संविदा कर्मचारी भी शासन का एक अभिन्न अंग है तथा कार्यभार/जिम्मेदारी में कोई अंतर नहीं होता है। इस प्रकार संविदा कर्मचारी द्वारा महत्वपूर्ण शासकीय कार्यों का निष्पादन पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से करने के बावजूद भी आर्थिक रूप से अत्यंत ही पिछडे हुए है। अल्प वेतन पर कार्य करने हेतु मजबूर है।
वर्तमान में कांग्रेस शासन में मुख्यमंत्री एवं अन्य जिम्मेदार मंत्रीगण द्वारा चुनाव पूर्व वर्ष 2018 में संविदा कर्मियों के सम्मेलन में स्वयॅ उपस्थित होकर संविदा कर्मियों को नियमित करने का आश्वासन दिया था तथा अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किये थे। बावजूद इसके 03 वर्ष पश्चात भी कोई सार्थक कार्यवाही नहीं किया गया है। पिछले 03 वर्षों में काग्रेस शासन में संविदा कर्मियों के नियमितिकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दो पर कार्यवाही नही की और ना ही वेतन वृद्धि की गई है। जो कि अत्यंत ही निराशाजनक एवं कांग्रेस शासन के कथनी एवं करनी को प्रदर्शित करता है।
पूर्व से ही प्रत्येक वर्ष संविदा कर्मचारियों का वेतन निर्धारण समय-सीमा में किया जाता रहा है लेकिन कांग्रेस सरकार के शासन में आने के बाद वेतन वृद्धि संबंधी कोई भी कार्यवाही नही की गई है।
विभिन्न संविदा कर्मचारी संगठनों के द्वारा पिछले तीन वर्षों से पत्राचार के माध्यम से शासन को वेतन वृद्धि के संबंध में निवेदन किया गया है। वित्त विभाग के अधिकारियों द्वारा संविदा कर्मचारियों के वेतन वृद्धि के संबंध में किसी भी प्रकार की रूची/निर्णय नहीं लिया जाना छत्तीसगढ़ के मूल निवासी संविदा कर्मियों के प्रति उनकी घृणित मानसिकता एवं उदासीनता का परिचायक है।
यह जानकारी हमें सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ, प्रांतीय संगठन मंत्री ताकेश्वर साहू द्वारा मिली है