Sacrifice of Superstition: अंधविश्वास की बलि: मुंगेली में 7 वर्षीय मासूम लाली की हत्या का खुलासा, तंत्र-मंत्र के नाम पर दिल दहला देने वाला अपराध- NV News

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N.V.News मुंगेली: बिलासपुर रेंज (Bilaspur Range) के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला के निर्देशन और मुंगेली पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के मार्गदर्शन में पुलिस ने एक सनसनीखेज हत्या का खुलासा किया है, जिसने पूरे जिले को हिला कर रख दिया। 7 वर्षीय मासूम बच्ची लाली उर्फ महेश्वरी गोस्वामी की झाड़फूंक और तंत्र-मंत्र के नाम पर बलि चढ़ा दी गई। यह घटना न केवल पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण थी, बल्कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास की क्रूर सच्चाई को उजागर करने वाली भी है।
घटना की शुरुआत: रात के अंधेरे में मासूम को उठा ले गए
ग्राम कोसाबाड़ी, थाना लोरमी निवासी पुष्पा गोस्वामी ने 12 अप्रैल 2025 को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी सबसे छोटी बेटी लाली (उम्र 7 साल 7 माह 29 दिन) 11 अप्रैल की रात अपने बिस्तर से अचानक गायब हो गई। रात लगभग 2 बजे जब मां की नींद खुली तो बच्ची बिस्तर पर नहीं थी। परिजनों ने आसपास काफी खोजबीन की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने अपराध क्रमांक 152/2025 धारा 137(2) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया।
पीड़ित परिवार की स्थिति और पुलिस की पहली चुनौती:
लाली का परिवार अत्यंत गरीब है। उसके पिता जनकगिरी गोस्वामी बचपन से पोलियो ग्रस्त हैं और हाल ही में लकवे का शिकार हो गए, जिससे वे बिस्तर पर ही रहते हैं। मां पुष्पा मानसिक रूप से कमजोर बताई गई। परिवार की इस असहाय स्थिति के चलते पुलिस के लिए यह मामला अत्यंत संवेदनशील और जटिल बन गया। वहीं, रितु गोस्वामी और चिम्मन गिरी नामक पड़ोसी उनके घर में अक्सर आते-जाते रहते थे, जिससे संदेह की दिशा यहीं से शुरू हुई।
डीएनए रिपोर्ट ने खोला हत्या का राज:
6 मई 2025 को पुलिस को एक महत्वपूर्ण सुराग मिला जब घटनास्थल से लगभग 100 मीटर दूर खेत में मानव खोपड़ी और अस्थियां मिलीं। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ये अवशेष लाली के ही थे। डीएनए रिपोर्ट से माता-पिता से मिलान की पुष्टि हुई। मेडिकल रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि खोपड़ी पर गंभीर चोट के निशान थे, जिससे यह पुष्टि हो गई कि बच्ची की हत्या की गई थी।
अंधविश्वास की गहराई: झरन पूजा के लिए दी गई बलि
जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि कोसाबाड़ी और आसपास के गांवों में झाड़फूंक और तंत्र-मंत्र की गहरी पकड़ है। साइबर सेल और प्रत्यक्षदर्शियों की मदद से यह सामने आया कि रितु गोस्वामी, चिम्मन गिरी, नरेन्द्र मार्को, आकाश मरावी और रामरतन निषाद ने एक कथित तांत्रिक पूजा ‘झरन’ के लिए मासूम लाली की बलि दी।
रितु और चिम्मन लंबे समय से झाड़फूंक का कार्य कर रहे थे। रितु ने झरन पूजा के लिए बच्ची को लाने की सहमति दी और नरेन्द्र मार्को को पैसे देकर उसे लाने के लिए कहा। नरेन्द्र ने ही 11 अप्रैल की रात लाली को घर से उठाया और झरन पूजा के दौरान उसकी हत्या कर दी गई। आकाश मरावी ने शव को खेत में दफना दिया।
वैज्ञानिक और तकनीकी विवेचना से खुला राज:
पुलिस ने इस मामले की छानबीन में आधुनिक तकनीक और पारंपरिक विवेचना दोनों का सहारा लिया। जांच के मुख्य बिंदु रहे:
सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण
साइबर सेल की तकनीकी जांच
गवाहों के बयान और गुप्त सूचना
पॉलिग्राफ, ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट
इन सभी साक्ष्यों के आधार पर पांचों आरोपियों की संलिप्तता पुख्ता हुई।
गिरफ्तार आरोपी और उनके खिलाफ कार्रवाई:
पुलिस ने 26 जुलाई 2025 को पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा:
1. चिम्मन गिरी गोस्वामी (40 वर्ष)
2. रितु गोस्वामी (36 वर्ष)
3. नरेन्द्र मार्को (21 वर्ष)
4. आकाश मरावी (21 वर्ष)
5. रामरतन निषाद (45 वर्ष)
सभी आरोपी कोसाबाड़ी और डोंगरिया क्षेत्र के निवासी हैं। इनके खिलाफ अपराध क्रमांक 152/2025 के तहत धारा 137(2), 103(1), 140, 61, 3(5) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही, रितु गोस्वामी पर अलग से धोखाधड़ी का प्रकरण (अपराध क्रमांक 449/25 धारा 420, 406 भादवि) दर्ज है।
जांच दल की अहम भूमिका:
इस जघन्य कांड की तह तक पहुंचने में मुंगेली पुलिस और साइबर सेल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जांच में निरीक्षक अखिलेश कुमार वैष्णव, उपनिरीक्षक सुशील बंछोर, सतेन्द्रपुरी गोस्वामी, सुन्दरलाल गोरले, नंदलाल पैकरा, निर्मल घोष, राजकुमारी यादव सहित अनेक पुलिसकर्मियों ने योगदान दिया। साथ ही साइबर सेल, फॉरेंसिक टीम और लोरमी पुलिस की सतर्कता ने मामले को सुलझाने में सहायता की।
राजस्व विभाग का भी सहयोग:
अपर कलेक्टर मेनका प्रधान, एसडीओ अजीत पुजारी, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट शेखर पटेल, नायब तहसीलदार शांतनु तारन, चन्द्रप्रकाश सोनी सहित राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भी पूछताछ, साक्ष्य संकलन और स्थल निरीक्षण में अहम भूमिका निभाई।
न्याय की दिशा में ठोस कदम:
मुंगेली पुलिस (Mungeli Police) की यह कार्रवाई यह स्पष्ट करती है कि अंधविश्वास( Superstition) नाम पर किसी भी मासूम की बलि देने वालों को अब कानून से नहीं बचाया जा सकता। यह मामला एक उदाहरण बनकर सामने आया है कि पुलिस और प्रशासन की सतर्कता से समाज में व्याप्त कुरीतियों और तंत्र-मंत्र जैसे अंधविश्वासों के खिलाफ मजबूत संदेश दिया जा सकता है।