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N.V.News रायपुर: संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप झा ने बताया कि प्राचार्य पदोन्नति हेतु प्रस्ताव की कुल संख्या के आधार पर विभिन्न जिलों से व्याख्याता साथियों से दो बिंदु पर आपत्ति जताई जा रही है। पहला बिंदु है उच्च पे स्केल 6600 और 5400 के व्याख्याता की पदोन्नति रोक कर उनसे निम्न पे स्केल 4800/4400/4300 की पदोन्नति कैसे की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि 5400 का पे स्केल प्राचार्य पद का है अतः इस स्केल और इससे ऊपर के 6600 पे स्केल के व्याख्याता को अनिवार्य रूप से प्राचार्य पदोन्नति दी जानी चाहिए। दूसरा बिंदु प्राचार्य पदोन्नति हेतु शैक्षणिक अर्हता का है,2019 के राजपत्र अधिनिय की अनुसूची 3 के सरल क्रमांक 8 के कालम 5 में स्पष्ट रूप से अंकित है कि न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता द्वितीय श्रेणी स्नातकोत्तर एवं बी एड होना चाहिए।
इसके बाद भी प्रधान पाठकों को बी एड ना होने पर भी प्राचार्य पदोन्नति हेतु पात्र बनाया जा रहा है,ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब लाभ लेना हो तो राजपत्र 2019 के नियमों का हवाला दिया जाए और जब हानि हो रही हो तो राजपत्र 2019 के नियमों के अवहेलना की जाए, कतिपय संगठन के प्रांताध्यक्ष अपने लाभ के लिए राजपत्र अधिनियम के नियमों की इस त्रुटिपूर्ण तरीके से ही व्याख्या करते हैं।अतः सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी एवं संचालक दिव्या उमेश मिश्रा से मिलकर उच्च पे स्केल के समस्त व्याख्याताओं की पदोन्नति की मांग, समस्त दस्तावेज एवं अधिनियम के नियमों के हिंदी, अंग्रेजी संस्करण की छाया प्रति प्रदान की गई है, साथ ही सी आर प्राप्त समस्त प्रस्ताव का डी पी सी से अनुमोदन कराए जाने, और 500 क्रमांक प्रतीक्षा सूची में रखने की भी मांग की गई है, ताकि 1/2 माह में सेवा निवृति से रिक्त होने वाले पदों पर केवल काउंसलिंग से नियुक्ति दी जा सके।