रावतपुरा मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द, प्रदेश में 150 सीटों की कटौती: एनएमसी की सख्ती से हड़कंप

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NV News news  :छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षा की दिशा में बड़ा झटका सामने आया है। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने रिश्वत कांड में फंसे रावतपुरा मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी है। इस कार्रवाई के बाद प्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों की कुल 150 एमबीबीएस सीटें घट गई हैं। अब तक प्रदेश में कुल 700 मेडिकल सीटें उपलब्ध थीं, जो घटकर अब 550 रह गई हैं। एनएमसी की इस सख्त कार्रवाई से यह स्पष्ट संकेत गया है कि अब मानकों पर खरा उतरने वाले संस्थानों को ही मेडिकल शिक्षा का संचालन करने की अनुमति दी जाएगी।

शासकीय कॉलेजों को ही मिली है अस्थायी मान्यता

एनएमसी द्वारा 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए सिर्फ प्रदेश के 10 शासकीय मेडिकल कॉलेजों को ही मान्यता दी गई है। निजी कॉलेजों की फाइलें अभी भी लंबित हैं और उन्हें मान्यता नहीं मिली है। इन शासकीय कॉलेजों में कुल 1,430 एमबीबीएस सीटों पर इस सत्र में नामांकन होगा। हालाँकि, यह मान्यता भी पूरी तरह से स्थायी नहीं है, बल्कि “सशर्त” दी गई है। इसका अर्थ है कि इन कॉलेजों को आगामी चार महीनों के भीतर अपनी सभी कमियों को दूर करना होगा।

एनएमसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश का कोई भी मेडिकल कॉलेज फिलहाल आयोग के निर्धारित टेस्टिंग नॉर्म्स और एकेडमिक स्टैंडर्ड्स पर पूरी तरह खरा नहीं उतर सका है। निरीक्षण के दौरान सभी कॉलेजों में कई कमियाँ पाई गईं — जिनमें फैकल्टी की कमी, आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव, लैब्स और हॉस्पिटल फैसिलिटी में कमियां प्रमुख हैं।

चार माह बाद फिर होगी निरीक्षण

एनएमसी ने सभी कॉलेजों को चार महीने की मोहलत दी है। इस अवधि में अगर कॉलेज अपनी रिपोर्ट में मिली खामियों को दूर नहीं कर पाए, तो आयोग इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। इसमें मान्यता रद्द करने से लेकर प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगाने तक के कदम शामिल हो सकते हैं। हर कॉलेज को उनकी विशिष्ट खामियों के आधार पर अलग-अलग सुधारात्मक निर्देश भी दिए गए हैं।

सिम्स की 30 सीटें घटीं, किसी कॉलेज में नहीं बढ़ीं सीटें

प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित शासकीय मेडिकल कॉलेजों में शामिल बिलासपुर स्थित सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) की 30 एमबीबीएस सीटें घटा दी गई हैं। पिछले सत्र में यहां 180 सीटें थीं, जो अब घटकर 150 रह गई हैं। यह कमी भी एनएमसी के निरीक्षण में पाई गई खामियों का नतीजा है। वहीं, किसी अन्य शासकीय कॉलेज को अतिरिक्त सीटें नहीं दी गई हैं।

चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की ओर से बताया गया कि किसी भी कॉलेज ने इस बार सीट बढ़ाने के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, रायपुर स्थित पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में पहले ही सीटों में वृद्धि की जा चुकी थी। पिछले वर्ष यहां की सीटें 150 से बढ़ाकर 200 की गई थीं, और अब यहां 230 सीटें संचालित की जा रही हैं।

निजी कॉलेजों की मान्यता और सीटें अब भी अधर में

छत्तीसगढ़ के अन्य निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता पर अभी एनएमसी ने कोई स्पष्ट निर्णय नहीं दिया है। हालांकि, दो निजी मेडिकल कॉलेजों ने सीटों में वृद्धि के लिए आवेदन किया है और एनएमसी की टीम ने उनका निरीक्षण भी पूरा कर लिया है। रिपोर्ट संतोषजनक पाई जाती है तो निकट भविष्य में इन कॉलेजों में सीटों में इजाफा किया जा सकता है।

रावतपुरा कॉलेज की मान्यता रद्द होने के पीछे कॉलेज प्रबंधन पर लगे गंभीर आरोप जिम्मेदार हैं। कॉलेज पर रिश्वत देकर मान्यता प्राप्त करने, फर्जी फैकल्टी दिखाने और प्रशासनिक अनियमितताओं का आरोप था। जांच में इन आरोपों की पुष्टि के बाद एनएमसी ने तुरंत प्रभाव से कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी।

काउंसलिंग की तारीखें घोषित, शेड्यूल जल्द

इस बीच छात्रों के लिए राहत की बात यह है कि मेडिकल एडमिशन के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है। ऑल इंडिया कोटे के तहत मेडिकल काउंसलिंग 21 जुलाई से दिल्ली से शुरू होगी। वहीं, छत्तीसगढ़ राज्य कोटे की काउंसलिंग 30 जुलाई से 6 अगस्त तक चलेगी। हालांकि, राज्य शासकीय शैक्षणिक संचालनालय की ओर से विस्तृत शेड्यूल अभी जारी नहीं किया गया है।

बताया जा रहा है कि सितंबर में नया सत्र शुरू कर दिया जाएगा और एडमिशन की अंतिम तिथि 3 अक्टूबर होगी। इस बार कुल चार चरणों में काउंसलिंग कराई जाएगी — जिसमें पहले राउंड के बाद मॉप-अप और स्ट्रे राउंड शामिल होंगे।

छात्र-छात्राओं में चिंता, लेकिन उम्मीद भी

मेडिकल सीटों की घटती संख्या को लेकर छात्रों में चिंता का माहौल है। निजी कॉलेजों की मान्यता लटकने और सरकारी कॉलेजों में सख्ती के चलते मेरिट लिस्ट में ऊपर रहने वाले छात्रों को ही एडमिशन मिलने की संभावना है। हालांकि, यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि यदि कॉलेजों द्वारा समय रहते सुधारात्मक कदम उठाए गए तो अगले चार महीने बाद सीटें पुनः बहाल हो सकती हैं।

माता-पिता और छात्र अब इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि राज्य में मेडिकल शिक्षा के लिए विकल्प सीमित होते जा रहे हैं। अगर निजी कॉलेजों की मान्यता जल्द नहीं मिलती या सीटें कम होती रहीं, तो कई छात्रों को बाहर के राज्यों का रुख करना पड़ सकता है।


एनएमसी की सख्ती और मानकों के प्रति गंभीर रुख से यह स्पष्ट है कि अब बिना गुणवत्ता सुधार के किसी भी कॉलेज को मान्यता नहीं दी जाएगी। यह कदम छात्रों के दीर्घकालिक हित में तो है, लेकिन फिलहाल सीटों की कमी से योग्य छात्रों के लिए प्रतिस्पर्धा और अधिक कठिन हो गई है। शिक्षा विभाग, कॉलेज प्रशासन और सरकार को मिलकर इस चुनौती से निपटना होगा ताकि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण मेडिकल शिक्षा की निरंतरता बनी रह सके।

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