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NV News:- नगर निगम के अफसर बिना कार्यशैली सुधारे स्वच्छता रैकिंग में अग्रिम स्थान पाने का प्रयास कर रहे हैं। निगम अफसरों के काम करने का ढंग आज भी बीस-तीस साल पुराना है।
सफाई से लेकर निर्माण कार्यो में यही कार्यशैली दिखती है। पूरा शहर खुदा पड़ा है।
नालियों का कचरा सड़क पर
स्थिति ये है कि जो काम दिन भर में पूरा हो जाना चाहिए, उस काम को भी सप्ताह-पखवाड़े तक खींचा जा रहा है। कहीं नालियों का कचरा निकालकर सड़क के किनारे छोड़ दिया जाता है। कई-कई दिनों तक ये कचरा यातायात जाम का कारण बने रहता है। तो कहीं, आधी सड़क बनाकर काम ही बंद कर दिया जाता है। इन सबके बीच शहर को व्यवस्थित करने की अपेक्षा निगम के अफसर, दिल्ली से टीम के आने पर शहर को व्यवस्थित दिखाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं।
राठौर चौक को ही देखिए। ये चौक, शहर की संकरी सड़क वाला क्षेत्र है। यहां दुकानों में आने वाले ग्राहकों के वाहनों की पार्किंग सड़क पर ही होती है। इस कारण वैसे भी आधी सड़क ही आवागमन के लिए उपयोग हो पाती
है। इन सबके बीच निगम ने यहां नालियों का कचरा निकालकर सड़क पर छोड़ दिया। कचरा न उठाए जाने के कारण पहले से ही आधी हो चुकी सड़क पर अब जाम लगने लगा है।
आधा डामरीकरण कर सड़क को छोड़ा
महिला थाना से लेकर शास्त्री चौक तक सड़क का डामरीकरण का काम फिर से बंद हो गया है। यहां दो-तीन दिनों तक लगातार काम चला पर आधे के बाद काम बंद कर दिया गया । मोतीबाग के पास सड़क के एक ओर डामरीकरण किया है जबकि उसी सड़क के आधे भाग को छोड़ दिया गया है। गाड़ी चालक वहां फंस रहे हैं। निगम की लापरवाही के कारण यहां कभी भी दुर्घटना हो सकती है।
पाइप लाइन बिछाने से शहर में धूल
पाइप लाइन बिछाने के नाम पर खोदी गई सड़कों को ठीक न करने के कारण शहर धूल से अट गया है। शहर में हो रहे बिल्डिंग के निर्माण के अपने प्रविधान हैं। प्रदूषण से रोकने के लिए बनाए गए नियमों का पालन कहीं नहीं हो रहा है। नए बन रहे भवन को ग्रीन शीट से ढंककर निर्माण करने का आदेश है पर इसका पालन कहीं भी होता नहीं दिखता। भवन निर्माण सामाग्रियों का खुले में परिवहन किया जा रहा है। इनसे उड़ने वाली धूल शहर में फैल रही है।
भवन निर्माण सामाग्रियां सड़क पर
नियम ये है कि सड़कों पर रखी जाने वाली भवन निर्माण सामाग्रियां सीधे जप्त होंगी। इसके साथ ही संबंधित व्यक्ति पर फाइन भी ठोका जाएगा। निगम क्षेत्र की ऐसी कोई भी सड़क नहीं होगी जहां ऐसी सामाग्रियां सड़कों पर फैली न दिखें पर अफसर इन्हें लेकर भी लापरवाह हैं। कभी-कभार कोई कार्रवाई की जाती है। उसके बाद सब कुछ पहले की ही तरह चलने लग जाता है।