Raipur Breaking: जेल में मोबाइल, कॉल और फोटोशूट! रायपुर में सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त…NV News 

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Raipur Breaking: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सेंट्रल जेल एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार वजह है एक चौंकाने वाला वीडियो, जिसने जेल सुरक्षा की हकीकत सामने रख दी है। बैरक नंबर-15 से वायरल हुए वीडियो और फोटोशूट ने जेल प्रशासन की पोल खोल दी है। वीडियो में एनडीपीएस एक्ट के आरोपी रशीद अली उर्फ राजा बैजड मोबाइल फोन से वीडियो कॉल करते नजर आ रहे हैं, जबकि साथ में रोहित यादव और राहुल वाल्मिकी भी दिखाई दे रहे हैं।

बताया जा रहा है कि,यह वीडियो 13 से 15 अक्टूबर 2025 के बीच रिकॉर्ड किया गया और इसके बाद इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। सबसे हैरानी की बात यह है कि कैदी खुलेआम मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए न सिर्फ वीडियो कॉल कर रहे हैं, बल्कि बातचीत रिकॉर्ड कर बाहर भेज रहे हैं। जेल के भीतर मोबाइल फोन जैसे प्रतिबंधित साधनों का इस तरह खुले में इस्तेमाल होना सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

मोबाइल, वीडियो कॉल और खुली मनाही:

रायपुर सेंट्रल जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल सख्त रूप से प्रतिबंधित है। इसके बावजूद कैदियों का मोबाइल चलाना इस बात का प्रमाण है कि जेल के अंदर निगरानी व्यवस्था कमजोर है। जेल सूत्रों के मुताबिक, कई बार कैदी मोबाइल छुपाने के नए-नए तरीके अपनाते हैं, कभी खाने के सामान में, तो कभी कपड़ों या बिस्तरों में। लेकिन इस बार तो वीडियो में कैदी खुले तौर पर कॉल करते दिख रहे हैं, मानो जेल की चारदीवारी कोई मायने ही न रखती हो।

प्रशासन की चुप्पी और जांच के आदेश:

वायरल वीडियो सामने आने के बाद जेल प्रशासन ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले की तत्काल जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया है और शक के घेरे में आने वाले जेलकर्मियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि जेल के भीतर से ही किसी ने यह वीडियो बाहर लीक किया हो।

पहले भी विवादों में रही है रायपुर सेंट्रल जेल:

रायपुर सेंट्रल जेल में यह पहला मामला नहीं है जब सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे हों। इससे पहले भी कई बार जेल के भीतर से मोबाइल फोन, नशा और अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं मिलने की खबरें सामने आ चुकी हैं। हर बार जांच के बाद कार्रवाई के दावे किए गए, लेकिन हालात जस के तस रहे।

अमन साव का फोटोशूट मामला भी चर्चित रहा:

इससे पहले गैंगस्टर अमन साव के फोटोशूट का मामला भी खूब चर्चा में रहा था। अमन साव को झारखंड ले जाने के दौरान भागने की कोशिश में मारा गया था, लेकिन उसके बाद जेल के अंदर खिंचवाए गए फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। उस समय भी जेल प्रशासन पर लापरवाही और अंदरूनी मिलीभगत के आरोप लगे थे।

सवालों के घेरे में जेल प्रबंधन:

लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों ने जेल सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है,आखिर कैदियों तक मोबाइल और कैमरे पहुंच कैसे रहे हैं? क्या जेलकर्मियों की मिलीभगत के बिना यह संभव है?

कानून के जानकारों का मानना है कि यह मामला सिर्फ जेल अनुशासन का उल्लंघन नहीं, बल्कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर भी खतरे की घंटी है। जेलों में बंद कई आरोपी संगठित अपराध या ड्रग नेटवर्क से जुड़े होते हैं, जिनका बाहर से संपर्क बनाए रखना गंभीर परिणाम दे सकता है।

सुधार की जरूरत या सख्ती का दिखावा?:

हर बार वायरल वीडियो और जांच की घोषणा के बाद मामला ठंडा पड़ जाता है। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या रायपुर सेंट्रल जेल में सिर्फ जांच बैठाने से सुधार होगा, या प्रशासन को वास्तव में निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है?

विशेषज्ञों का सुझाव है कि जेलों में जैमर सिस्टम, नियमित सर्च ऑपरेशन, और सीसीटीवी निगरानी को और प्रभावी बनाया जाए। साथ ही जेलकर्मियों की जवाबदेही तय की जाए, ताकि ऐसे घटनाक्रम बार-बार दोहराए न जाएं।

रायपुर सेंट्रल जेल का यह ताजा मामला बताता है कि जेल की दीवारें भले ऊँची हों, लेकिन अंदर से अनुशासन की नींव कितनी कमजोर हो चुकी है। अब देखना यह होगा कि यह वायरल वीडियो एक और “औपचारिक जांच” तक सीमित रहता है या वास्तव में सुरक्षा व्यवस्था में कोई ठोस सुधार देखने को मिलता है।

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