चल रहा था मिलावट का गोरखधंधा, पुलिस ने मारा छापा…NV News

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NV News अंबिकापुर: महाराष्ट्र के गोंदिया से आया एक कारोबारी अंबिकापुर में नकली घी बनाकर खपा रहा था। शुक्रवार को शिकायत मिलते ही खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने राजस्व और पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ छापा मार कर इस अवैध कारोबार का राजफाश किया। व्यवसायी द्वारा एक स्थानीय कंपनी के वनस्पति (dalda) तथा सोयाबीन रिफाइन तेल को मिलाकर नकली घी तैयार किया जा रहा था। मौके से लगभग तीन हजार लीटर नकली घी तथा 1215 लीटर रिफाइन तेल और 855 लीटर वनस्पति(dalda) बरामद किया है। मंदिरों में घी के दीपक जलाने के लिए इस नकली उत्पाद को बेचा जा रहा था। व्यवसायी द्वारा लगभग चार पिकअप नकली घी खपाया जा चुका था। सभी बरामद उत्पाद को जब्त कर लिया गया है। जांच के लिए सैंपल रायपुर स्थित प्रयोगशाला भेजा जा रहा है।
महाराष्ट्र के गोंदिया सिविल लाइन नेहरू वार्ड निवासी राकेश ओमप्रकाश बंसल अपने कुछ रिश्तेदार तथा श्रमिकों को साथ लेकर अंबिकापुर आया था। बाबुपारा में उसने किराए पर एक घर लिया था। शुक्रवार को सूचना मिली कि उसके द्वारा नकली घी (fake ghee)बनाया जा रहा है। कलेक्टर विलास भोस्कर के निर्देश पर खाद्य व औषधि प्रशासन की टीम ने तहसीलदार उमेश बाज व पुलिसकर्मियों को साथ लेकर छापा मारा। यहां का नजारा देखकर टीम अवाक रह गई। आंगन में प्लास्टिक के ड्रम और एल्युमिनियम के ड्रम में नकली घी बनाकर रखा गया था। कुछ ड्रमों में सोयाबीन रिफाइन तेल को भर कर रखा गया था। दो गैस चूल्हा और दो घरेलू गैस सिलिंडर का उपयोग कर वनस्पति(dalda) को गर्म किया जा रहा था। टीम जब भीतर पहुंची तो वहां एक कमरे में 15 लीटर क्षमता वाले 98 टिन के डब्बे में नकली घी(fake ghee) बनाकर भर कर रखा गया था। 81 टिन के डिब्बे में सोयाबीन रिफाइन तेल तथा 57 डिब्बे में वनस्पति(dalda) भरा था। बाहर प्लास्टिक के आठ ड्रमों में डेढ़ हजार लीटर से अधिक नकली घी रखा गया था। नियम विरुद्ध तरीके से चल रहे कारोबार का कोई लाइसेंस भी नहीं था। व्यवसायी राकेश ओमप्रकाश बंसल की उपस्थिति में सारे सामान जब्त कर लिए गए। सैंपल लेकर जांच के लिए भेजने की प्रक्रिया पूरी की गई।

ऐसे बनाया जा रहा था fake ghee और dalda 

कथित सोयाबीन रिफाइन तेल को टिन के डिब्बे से निकालकर प्लास्टिक के बड़े ड्रमों में भरा जा रहा था। वनस्पति (dalda) को घरेलू गैस सिलिंडर और चूल्हे का उपयोग कर गर्म किया जा रहा था। उसके तरल स्वरूप में आते ही रिफाइन तेल में मिला दिया जा रहा था। लकड़ी से दोनों को काफी देर तक अच्छे से मिलाया जा रहा था। ठंडा होने के बाद यही वनस्पति, सोयाबीन तेल के साथ मिलकर घी के स्वरूप में नजर आने लगती थी। दोनों का अनुपात एकसमान रहता था। संभावना है कि कुछ और एथेंस भी इसमें मिलाया जाता होगा लेकिन सहायक सामग्री मौके से बरामद नहीं हुई है।

कम से कम दोगुने के फायदे का धंधा

पूछताछ में व्यवसायी ने बताया कि वनस्पति (dalda) तथा सोयाबीन रिफाइन तेल का 15-15 लीटर टिन का डब्बा 1500-1500 रुपये में मिलता है।यानी तीन हजार रुपये के इन दोनों को मिलाकर 30 लीटर उत्पाद बनता है। इसकी बिक्री 200 रुपये प्रति लीटर की दर से की जाती है। इस हिसाब से 30 लीटर का दाम छह हजार रुपये होता है। यानी दोगुने की कमाई इस धंधे में होती है। परिवहन ,गैस आदि का खर्च हटा भी दिया जाए तो अच्छी खासी कमाई इस धंधे में हैं। हालांकि व्यवसायी ने सोयाबीन तेल और वनस्पति का जो दर बताया है,उससे भी कम दाम में इसे खरीदे जाने की संभावना है।

सोयाबीन तेल और वनस्पति की गुणवत्ता पर भी सवाल

सोयाबीन तेल और वनस्पति को मिलाकर नकली घी बनाया जा रहा था। इन दोनों उत्पादों की गुणवत्ता पर भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने सवाल उठाया है।दोनों उत्पाद विशुद्ध स्थानीय स्तर के हैं। अंबिकापुर शहर में इसकी उपलब्धता भी नहीं है।व्यवसायी ने पूछताछ में बताया कि रायपुर से सोयाबीन तेल और वनस्पति को खरीद कर लाया गया था, इसका ब्रांड नाम भी एकदम नया था।ऐसे में बेहद कम दाम में दोनों उत्पाद मिल जाने की संभावना है।

नवरात्रि में मंदिरों में घी के रूप में होता उपयोग

नवरात्रि पर्व पर मंदिरों में तेल और घी के दीपक जलाए जाते हैं। इसके लिए मंदिर प्रबंधनों द्वारा श्रद्धालुओं से शुल्क भी लिया जाता है।बताया जा रहा है कि fake ghee का उपयोग मंदिरों में घी के दीपक जलाए जाने के लिए किए जाते। बकायदा चार पिकअप नकली घी उक्त व्यवसायी द्वारा शहर में खपाया भी जा चुका था। व्यवसायी द्वारा सरगुजा के अलावा पड़ोसी जिले सूरजपुर और कोरिया में भी इस उत्पाद को मंदिरों में बेचे जाने की तैयारी थी, इसके लिए बाकायदा उन्होंने सभी से संपर्क भी कर लिया था। उसके पहले ही सरगुजा प्रशासन की सजगता से मामला का भंडाफोड़ हो गया।

इन आरोपों पर हो रही कार्रवाई

खाद एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि व्यवसायी के पास खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का किसी प्रकार का कोई लाइसेंस नहीं है जबकि इस प्रकार के उत्पादन के लिए खाद्य पंजीयन होना जरूरी है। नकली घी के उत्पाद में लिखा भी नहीं गया था कि यह खाने योग्य नहीं है। यह घोषणा पत्र उल्लेखित नहीं होने के कारण भी इसे स्वास्थ्य से खिलवाड़ माना गया है। अधिकारियों ने बताया कि उक्त कमियों के अलावा नकली घी का सैंपल जांच के लिए भेजा जा रहा है।जांच में स्पष्ट पता चलेगा की असली घी में जो पोषक तत्व होते हैं उस हिसाब से यह नकली घी कितना कारगर है। यह खाने योग्य है भी या नहीं। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर भी आगे कार्रवाई की जाएगी।

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