पासपोर्ट सहायक को रिश्वत मामले में 3 साल की सज़ा, एसीबी ने रंगे हाथ किया गिरफ्तार

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अम्बिकापुर। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज एक महत्वपूर्ण प्रकरण में विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), अम्बिकापुर ने कनिष्ठ पासपोर्ट सहायक संकट मोचन राय को दोषी पाते हुए 3 वर्ष का कठोर कारावास और 5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह फैसला 29 नवंबर 2025 को सुनाया गया।

 

शिकायत से लेकर गिरफ्तारी तक पूरा मामला

 

प्रार्थी इसरार हुसैन, निवासी ग्राम दोलंगी, थाना रामचंदरपुर (जिला बलरामपुर-रामानुजगंज) ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी। उनके साथ ग्राम के चार लोग—समीम अंसारी, तुफैल अहमद, असलम अंसारी और नुरानी—हज यात्रा के लिए पासपोर्ट बनवाने पहुंचे थे।

 

09 अप्रैल 2024 को सभी का ऑनलाइन फॉर्म च्वाइस सेंटर से भरा गया। 24 मई 2024 को अपॉइंटमेंट मिलने पर सभी लोग पोस्ट ऑफिस, अम्बिकापुर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंचे, जहां कनिष्ठ पासपोर्ट सहायक संकट मोचन राय ने दस्तावेज़ों में त्रुटि बताकर प्रत्येक से 10 हजार रुपये रिश्वत की मांग की।

 

पीड़ितों ने रिश्वत देने के बजाय आरोपी को पकड़वाने का निर्णय लिया और उसी दिन एसीबी में शिकायत दर्ज कराई। सत्यापन के दौरान आरोपी ने रकम कम कर 8 हजार रुपये पर सहमति जताई।

 

एसीबी की कार्रवाई — ट्रैप में रंगे हाथ पकड़ा गया अधिकारी

 

30 मई 2024 को दोबारा अपॉइंटमेंट मिलने पर एसीबी टीम ने जाल बिछाया। जैसे ही आरोपी ने मुख्य डाकघर, अम्बिकापुर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र में प्रार्थी से 8,000 रुपये की रिश्वत ली, टीम ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

 

उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया और जांच के बाद 25 जुलाई 2024 को विशेष न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया।

 

न्यायालय का फैसला

विशेष न्यायालय ने सुनवाई के बाद आरोपी संकट मोचन राय को दोषी पाते हुए—

 

3 वर्ष कठोर कारावास

5,000 रुपये अर्थदंड

की सजा सुनाई।

 

संदेश स्पष्ट: भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई जारी

यह फैसला एक बार फिर साबित करता है कि एसीबी की तत्परता और पारदर्शी कार्रवाई के कारण सरकारी पदों पर बैठे भ्रष्ट अधिकारी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते।

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