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N.V.News रायपुर :: छत्तीसगढ़ सर्वविभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि महासंघ ने अपना हक अब लड़ कर लेने की सोची है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासनकाल में हर दो वर्ष में संविदा कर्मचारियों को महंगाई भत्ता अद्यतन कर वेतन में बढ़ोतरी प्राप्त होती रही है, लेकिन कांग्रेस शासनकाल में 4 वर्ष होने को आए पर एक भी वेतनवृद्धि नहीं मिली है। ऐसे में अत्यंत अल्प वेतन में संविदाकर्मी कार्य करने पर मजबूर हैं। इनमें से अधिकांश ने सरकारी सेवा हेतु निर्धारित न्यूनतम आयु पार कर चुके हैं, जिससे वे दूसरी नौकरी में भी नहीं जा सकते और कम से कम वेतन में ही जीविकोपार्जन हेतु मजबूर हैं।
महासंघ के प्रांतीय सलाहकार ताकेश्वर साहू ने बताया कि संविदाकर्मी काम ज्यादा तनख्वाह कम के सिद्धांत पर रखे जा रहे हैं, अधिकांश शासकीय कार्यालय वर्तमान में इन्हीं संविदाकर्मियों के बूते ही काम कर रहे हैं। अन्य विसंगतियों के अलावा संविदाकर्मियों के साथ ये अन्याय भी हो रहा है कि इनमें वरिष्ठ-कनिष्ठ कर्मचारियों में कोई वेतन अंतर नहीं है, अर्थात कोई व्यक्ति यदि 20 साल से किसी पद में संविदा पर कार्य कर रहा है तो उसका भी वेतन वही है जो आज उस पद में भर्ती होगा। यह अन्यायपूर्ण व्यवस्था राज्य गठन के साथ ही चली आ रही है। नियमित कर्मचारियों की तरह इन संविदाकर्मियों को भी समयमान वेतन आदि की व्यवस्था होनी चाहिए तभी हम एक समतापूर्ण कार्य संस्कृति का निर्माण कर पाएंगे। फिलहाल संविदाकर्मी दोयम दर्जे के, अर्धशासकीय कर्मचारी बने हुए हैं।
यहां ये उल्लेखनीय है कि जो कांग्रेस सरकार 10 दिन के भीतर नियमितीकरण के वादे के साथ सत्तारूढ़ हुई थी वो अपने वादे में खरा उतरना तो दूर, पूर्ववर्ती सरकार की तरह नियमित वेतनवृद्धि देने तक में असफल साबित हुई है।
महासंघ ने कहा कि इसके विरोध में हम चरणबद्ध आंदोलन में उतरने की तैयारी में हैं और आंदोलन को किसी भी हद तक ले जाने हेतु कटिबद्ध हैं। इसी कड़ी में प्रदेश के संविदाकर्मी दिनांक 22 अगस्त से 25 अगस्त तक तिरंगा पट्टी लगाकर अपने कर्तव्यों पर उपस्थित होंगे तथा शासन का ध्यान अपने साथ होने वाले अन्याय की तरफ आकृष्ट करने का प्रयास करेंगे । शासन द्वारा उचित कार्यवाही नहीं होने पर दिनांक 26 अगस्त को पूरे प्रदेश के संविदा कर्मचारी एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे।
ज्ञातव्य हो कि विगत दिनों महात्मा गांधी नरेगा के संविदाकर्मियों ने लगभग डेढ़ माह तक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की थी और मंच पर केबिनेट मंत्री आकर समापन कराये थे किंतु आज भी मांग अधूरी की अधूरी है इनकी मांगों पर विचार के लिए एक विभागीय कमेटी का गठन किया गया है लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही सभी संविदाकर्मियों के नियमितीकरण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग में गठित समिति का ही चार वर्ष बाद भी कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस पर प्रश्न उठाया था और विधानसभा में इस पर काफी हंगामा भी हुआ था, लेकिन सत्र समाप्ति के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। ऐसे में नवगठित समिति से संविदाकर्मियों को कोई विशेष आश्वासन नहीं मिल रहा है। महासंघ के अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने कहा कि महासंघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी विचार कर रहा है और इस पर शासन का रुख देख कर निर्णय लिया जाएगा।