राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों ने नियमितीकरण सहित 10 सूत्रीय मांगों को लेकर किया कलेक्टोरेट का घेराव, सरकार को सौंपा ज्ञापन

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NV News मुंगेली, 16 जुलाई 2025
जिले में कार्यरत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर आज जिला मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर किया गया, जिसमें जिले के सभी एनएचएम कर्मचारी शामिल हुए। कर्मचारियों ने जिला कलेक्टोरेट कार्यालय का घेराव कर धरना रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

कर्मचारियों की मुख्य मांगे –

इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य नियमितीकरण, 27% वेतन वृद्धि, ग्रेड पे में सुधार, अनुकंपा नियुक्ति, स्वास्थ्य बीमा योजना सहित 10 सूत्रीय मांगों को शासन के समक्ष प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना था। कर्मचारियों का कहना है कि वे वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार कार्यरत हैं, लेकिन अभी तक उन्हें स्थायी नियुक्ति नहीं दी गई है। इससे उनके भविष्य को लेकर असुरक्षा बनी हुई है।

धरना स्थल पर जिले के सैकड़ों एनएचएम कर्मचारी पहुंचे, जिन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए और मांगें जल्द पूरी करने की चेतावनी दी। इस दौरान संघ के अध्यक्ष अमित दुबे ने कहा, “हम सभी संविदा कर्मचारी वर्षों से अल्प वेतन में दिन-रात कार्य कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार हमें सम्मानजनक वेतन और स्थायीत्व प्रदान करे।”

अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी –
संघ पदाधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि 16 और 17 जुलाई के सामूहिक अवकाश के दौरान भी शासन की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं होती, तो कर्मचारी संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को विवश होगा। इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो सकती हैं, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह शासन-प्रशासन की होगी।

प्रमुख उपस्थितजन –
इस अवसर पर पवन निर्मलकर, डॉ. मीनाक्षी बंजारे, उदय भानु बंजारे, बलराम, जितेंद्र, अमित अहिरवार, संतोष निर्मलकर, गोविंद साहू, राजेंद्र राजपूत, अवि साहू, नेहा सिंह, योगेश, विश्वनाथ सहित कई एनएचएम कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि जब तक शासन से ठोस आश्वासन नहीं मिलता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

एनएचएम कर्मचारियों का यह प्रदर्शन राज्य सरकार के समक्ष एक गंभीर संकेत है कि यदि समय रहते मांगों पर विचार नहीं किया गया तो प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो सकती हैं। अब देखना यह है कि शासन इस आंदोलन पर क्या प्रतिक्रिया देता है और कर्मचारियों की मांगों पर क्या फैसला लिया जाता है।

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