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छत्तीसगढ़ में बर्ड फ्लू की आशंका मंडराने लगी है। बालोद जिले के दल्लीराजहरा स्थित वार्ड-16 के तिवारी पोल्ट्री फार्म में 3 दिन में 3 हजार 700 मुर्गियों की मौत से लोगों में दहशत है। इसे लेकर वन विभाग भी अलर्ट हो गया है। सूचना मिलते ही पशुपालन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मृत मुर्गियों को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया। जांच के लिए सैंपल रायपुर भेजे गए हैं।
बड़ी तादाद में मुर्गियों की मौत को लेकर किसी बड़ी बीमारी की आशंका भी जताई जा रही है। वहीं बर्ड फ्लू को लेकर भी विभाग चिंतित नजर आ रहा है। पिछले साल भी बालोद जिले में बर्ड फ्लू ने दस्तक दी थी। कुसुमकसा क्षेत्र के मुर्गी फार्म में सैकड़ों मुर्गियों की मौतें हुई थीं। अब 3700 मुर्गियों की मौत होने के बाद वन विभाग ने यहां मुर्गियों की बिक्री पर रोक लगा दी है। विभाग ने आसपास के क्षेत्रों में भी मुर्गियों पर विशेष ध्यान रखने की बात कही है।
दल्लीराजहरा नगरपालिका क्षेत्र में तिवारी पोल्ट्री फार्म में 3700 मुर्गियों की मौत के बाद बिना पशु विभाग को जानकारी दिए इन्हें दफना दिया गया था। इसकी खबर जैसे ही मीडियाकर्मियों को मिली, तो वे वहां पहुंचे। तब जाकर मामला उजागर हुआ। इसके बाद पोल्ट्री फार्म में पशु विभाग, पुलिस और नगर पालिका की टीम पहुंची। पोल्ट्री फॉर्म से जांच के लिए जिंदा मुर्गियों के ब्लड सैम्पल लिए गए। पशु विभाग के उप संचालक डीके सिहारे ने मुर्गियों की हुई मौत पर लैब रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहने की बात कही है।
पशुपालन विभाग के उपसंचालक डीके सिहारे ने बताया कि जिस तरह से मुर्गियों की एक साथ मौत हुई है, उसे देखते हुए शवों का पोस्टमॉर्टम कराने के साथ ही सैंपल लैब में भी जांच के लिए भेजे गए हैं, ताकि बर्ड फ्लू की पुष्टि हो सके। बालोद जिले में मुर्गियों की मौत के मामले में अंदेशा ये लगाया जा रहा है कि वैक्सीन में कुछ प्रॉब्लम हो सकती है या किसी इन्फेक्शन के कारण भी उनकी जान जा सकती है।
बिना NOC के संचालित है पोल्ट्री फार्म
उप संचालक डीके सिहारे ने बताया कि 2 फरवरी को 1500 से ज्यादा मुर्गियों की मौत हुई थी। इसके बाद रविवार को भी करीब 1500 मुर्गियों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि मुर्गियों की मौत की जानकारी पोल्ट्री फार्म ने विभाग को नहीं दी थी। वहीं, बिना एनओसी के संचालित पोल्ट्री फार्म और बिना जानकारी दिए मृत मुर्गियों को दफनाने के मामले में पोल्ट्री फार्म के संचालक पर कार्रवाई करने की बात उन्होंने कही है।
दरअसल मुर्गियों के लिए जो वैक्सीन आती है, उसका रखरखाव भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। 2 फरवरी से मुर्गियों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ है। दल्लीराजहरा के तिवारी पोल्ट्री फार्म और स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि पहले एक-दो मुर्गियों की मौत हुई, इसके बाद मौत का आंकड़ा बढ़ता चला गया। यहां एक साथ 600 मुर्गियों की मौत हुई और आखिर में वहां पर 3,700 की संख्या में रखी गई सारी मुर्गियां मारी गईं।
2 साल पहले भी बालोद के पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू से मरी थीं मुर्गियां
दो साल पहले छत्तीसगढ़ में बर्ड फ्लू महामारी ने दस्तक दी थी। बालोद जिले से भेजे गए मुर्गियों के नमूनों में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई थी। इस बार भी बालोद से ही मुर्गियों की मौत के मामले सामने आए हैं। 2 साल पहले बर्ड फ्लू की पुष्टि होने पर पशुधन और स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित पोल्ट्री फार्म के एक किलोमीटर के दायरे को संक्रमित क्षेत्र घोषित कर मुर्गे-मुर्गियों को मारा गया था।
बालोद जिले के गिधौली गांव स्थित जीएस पोल्ट्री फार्म में 9, 10 और 11 जनवरी 2021 को 274 मुर्गे-मुर्गियों की मौत हो गई थी। सूचना पर 11 जनवरी 2021 को पहुंची पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने पांच मुर्गियों से स्वाब के नमूने लेकर राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा था। शेष मुर्गियों को गांव में ही सुरक्षित तरीके से दफना दिया गया था। बाद में भोपाल की प्रयोगशाला ने पांचों नमूनों में H-5 N-8 एविएन इनफ्लुएंजा वायरस की पुष्टि का पत्र भेजा।