National Highway blocked By Mitanin Worker’ : मितानिन कार्यकर्ताओं का आंदोलन तेज, नियमितिकरण की मांग को लेकर हाईवे पर चक्काजाम, प्रशासन से दो-दो बार टकराव
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N.V.News गरियाबंद: National Highway blocked By Mitanin Worker में मितानिन कार्यकर्ताओं (Mitanin Worker) द्वारा अपनी लंबित मांगों को लेकर शुरू किया गया आंदोलन अब उग्र रूप लेता जा रहा है। नियमितिकरण और उचित वेतनमान की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी हड़ताल में शामिल होने जा रही गरियाबंद जिले की मितानिन बहनों को प्रशासन द्वारा रोके जाने पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
Mitanin sisters' agitation intensifies
जानकारी के अनुसार, मितानिन बहनें राजधानी रायपुर (Capital Raipur) में होने वाले प्रदेशव्यापी प्रदर्शन में भाग लेने के लिए रवाना हुई थीं। लेकिन जैसे ही वे गरियाबंद से निकलकर नेशनल हाईवे-130 पर तिरंगा चौक के पास पहुंचीं, प्रशासन ने उन्हें रोक दिया। इस कार्रवाई से नाराज होकर मितानिन बहनों ने तत्काल हाईवे पर चक्काजाम कर दिया और जोरदार नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया।
करीब एक घंटे तक चले इस चक्काजाम के बाद प्रशासन ने उन्हें राजधानी की ओर आगे बढ़ने की अनुमति दी। लेकिन मामला यहीं नहीं थमा। करीब 20 किलोमीटर आगे, पोड़ के पास उन्हें एक बार फिर से रोका गया। इससे नाराज होकर मितानिनों ने दोबारा हाईवे पर जाम लगा दिया और सड़क पर बैठकर अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाए।
मितानिन बहनों का कहना है कि वे सालों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बनी हुई हैं, लेकिन उन्हें अब तक न तो नियमित किया गया है और न ही पर्याप्त वेतन दिया जाता है। उनका आरोप है कि सरकार सिर्फ वादे करती है लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
विरोध प्रदर्शन के कारण हाईवे पर लंबा जाम लग गया, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रशासन ने मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और मितानिनों से वार्ता करने की कोशिश की जा रही है।
यह आंदोलन सिर्फ गरियाबंद(Gariyaband) तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों की मितानिनें भी रायपुर में जुटने की तैयारी में हैं। सरकार के खिलाफ यह असंतोष अब संगठित रूप ले रहा है, जिससे आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ सकता है।
मितानिन बहनों की मांगें लंबे समय से अनसुनी रही हैं। अब वे आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रही हैं। प्रशासन और सरकार के लिए यह एक बड़ा संकेत है कि अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।
