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NV News:- भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर देश की आजादी के अलावा भेदभाव के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए भी इतिहास में खास नाम रखते हैं। आज का दिन, यानी 31 मार्च का उनके नाम के साथ एक खास सबंध है। 31 मार्च को ही 1990 में डॉ. भीमराव अंबेडकर को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करके देश और समाज के लिए किए गए उनके कामों को याद किया गया था।
आजादी के योद्धा, देश के पहले कानून मंत्री
बाबासाहब भीमराव आंबेडकर ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। वहीं दलित अधिकारों और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ भी उन्होंने लंबी लड़ाई लडी। उनको ही राष्ट्र के संविधान निर्माण का दायित्व सौंपा गया था, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। आजादी के बाद वो देश के पहले कानून मंत्री भी बने।
बचपन से ही पढ़ने में तेज थे अंबेडकर
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को एक दलित परिवार में हुआ था। बचपन से ही वो पढ़ने लिखने में तेज थे। बंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से 1907 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड की फेलोशिप पाकर भीमराव ने 1912 में मुबई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की।