तेलंगाना–छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर बड़ा सरेंडर: 8 माओवादी नेताओं ने किया आत्मसमर्पण

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बीजापुर। माओवादी संगठन को दक्षिण भारत में एक और बड़ा झटका लगा है। तेलंगाना स्टेट कमेटी के दो वरिष्ठ और प्रभावशाली नक्सली नेताओं सहित कुल 8 माओवादियों ने वारंगल पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। हालांकि पुलिस की आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह समूह पिछले दो दिनों से पुलिस संपर्क में था और गुप्त रूप से सरेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। सोमवार को इसकी औपचारिक घोषणा होने की संभावना है।

BKSAR डिवीजन के सचिव आज़ाद ने हथियार डाले:-

सूत्रों के मुताबिक आत्मसमर्पण करने वालों में सबसे बड़ा नाम है कोय्यादी संबय्या उर्फ आज़ाद, जो BKSAR डिवीजन कमेटी के सचिव थे। वर्षों से वह माओवादी संगठन की रणनीति, भर्ती और संचालन जैसे अहम कार्यों को संभाल रहे थे।

तेलंगाना–छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र, जिसे आज़ाद का गढ़ माना जाता था, में उनकी मजबूत पकड़ थी। उनका सरेंडर माओवादी संगठन के दक्षिण जोनल नेटवर्क के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक झटका माना जा रहा है।

तकनीकी विंग के प्रभारी रमेश भी आत्मसमर्पण करने वालों में शामिल:-

दूसरा बड़ा नाम है अब्बास नारायण उर्फ रमेश, जो माओवादी संगठन की तकनीकी टीम का प्रमुख था। रमेश संचार तंत्र, विस्फोटक तकनीक और आंतरिक नेटवर्क के तकनीकी संचालन को संभालता था।

रामागुंडम इलाके में लंबे समय से सक्रिय रमेश कई अभियानों में शामिल रहा है।

अंदरूनी कलह और नेतृत्व संघर्ष बना प्रमुख कारण:-

सूत्रों का दावा है कि पिछले कुछ महीनों से माओवादी संगठन के भीतर गंभीर आंतरिक मतभेद, नेतृत्व संघर्ष और रणनीतिक टकराव चल रहा था।

आज़ाद और तेलंगाना स्टेट कमेटी के प्रमुख दामोदर के बीच बढ़ते विवाद ने संगठन को कमजोर किया। रणनीति, संसाधनों के वितरण और नेतृत्व शैली को लेकर टकराव इतना बढ़ गया कि कई निचले स्तर के कैडर भी असंतोष में थे।

आज़ाद का बढ़ता प्रभाव दामोदर की स्थिति को चुनौती दे रहा था, जिसका सीधा असर जमीनी नेटवर्क पर पड़ रहा था। इसी आंतरिक तनाव और बढ़ते पुलिस दबाव ने वरिष्ठ कैडरों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया।

माओवादी नेटवर्क पर बड़ा असर:-

यदि पुलिस इसे आधिकारिक रूप से पुष्टि करती है, तो यह सरेंडर तेलंगाना–छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर सक्रिय माओवादी नेटवर्क के लिए बड़ा नुकसान साबित होगा।

दो वरिष्ठ नेताओं के साथ छह अन्य कैडरों के सरेंडर से संगठन की—

तकनीकी क्षमता

स्थानीय नेतृत्व

जनाधार

—तीनों पर गंभीर असर पड़ेगा।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पिछले एक वर्ष में बढ़ते अभियान, तकनीकी निगरानी और संगठन के भीतर बढ़ती टूट से सरेंडर की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह घटना क्षेत्र की सुरक्षा रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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