पुलिस की बड़ी कार्रवाई: अंतरराज्यीय गौ-तस्करी रैकेट का भंडाफोड़…NV News

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NV News बीजापुर/भोपालपटनम: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पुलिस ने एक बार फिर अपनी सतर्कता और चुस्त कार्यशैली का परिचय देते हुए अंतरराज्यीय गौ-तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है। थाना मद्देड़ पुलिस ने एक विशेष अभियान के तहत छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित मिनकापल्ली–तारलागुड़ा जंगल मार्ग में घेराबंदी कर 83 गौवंशी मवेशियों को तस्करों के कब्जे से मुक्त कराया। इस कार्रवाई में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस की इस कार्रवाई से सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय पशु तस्करों के नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है।

 

गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई

थाना मद्देड़ पुलिस को रविवार रात एक गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध तस्कर मिनकापल्ली–तारलागुड़ा के घने जंगल मार्ग का इस्तेमाल कर बड़ी संख्या में गौवंश को हांकते हुए अवैध रूप से तेलंगाना राज्य के एटुनगरम की ओर ले जा रहे हैं। सूचना की गंभीरता को देखते हुए थाना प्रभारी मद्देड़ के नेतृत्व में पुलिस की विशेष टीम गठित की गई, जिसने त्वरित कार्रवाई करते हुए जंगल मार्ग में घेराबंदी कर दी।

सुबह होते ही पुलिस ने मिनकापल्ली गांव के समीप जंगल के एक सुनसान रास्ते में संदिग्ध गतिविधि कर रहे 7 व्यक्तियों को पकड़ा, जो बड़ी संख्या में गौवंशी मवेशियों को हांकते हुए आगे बढ़ रहे थे। पुलिस ने जब इनसे मवेशियों के परिवहन से जुड़े दस्तावेज मांगे, तो आरोपी कोई वैध कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाए।

मौके से 83 गौवंश जब्त

गवाहों की उपस्थिति में पुलिस ने सभी 7 आरोपियों को हिरासत में लिया और मौके पर मौजूद 83 गौवंशी मवेशियों को जब्त किया। यह सभी मवेशी अलग-अलग नस्लों के थे और बेहद खराब स्थिति में पाए गए, जिससे यह स्पष्ट था कि इन्हें क्रूरतापूर्वक एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जा रहा था। मवेशियों को हांका जा रहा था और इनके पैरों में रस्सियों के गहरे निशान भी मिले।

कठोर धाराओं में मामला दर्ज

पुलिस ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम, 2004 एवं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। सभी आरोपियों को विधिवत गिरफ्तार कर भोपालपटनम न्यायालय में रिमांड पर प्रस्तुत किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

कांजी हाउस में रखी गई मवेशियों की सुरक्षा

पुलिस की सूचना पर तत्काल उपखंड अधिकारी (SDM) भोपालपटनम ने आदेश जारी कर सभी 83 गौवंशी मवेशियों को ग्राम पंचायत मद्देड़ स्थित कांजी हाउस में सुरक्षित रखने के निर्देश दिए। वहां पर मवेशियों की देखरेख, उपचार एवं भोजन-पानी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। पशु चिकित्सकों की एक टीम द्वारा मवेशियों की चिकित्सीय जांच कर इलाज की प्रक्रिया शुरू की गई है।

प्रशासन का सख्त संदेश

घटना के बाद पुलिस और जिला प्रशासन दोनों ही सक्रिय नजर आए। अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य में गौवंश की अवैध तस्करी को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे अपराधों में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने यह भी कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पशु तस्करी को रोकने के लिए लगातार निगरानी बढ़ाई जाएगी और ऐसे संवेदनशील मार्गों पर गश्त तेज की जाएगी।

सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करों की गतिविधि पर बढ़े सवाल

मिनकापल्ली–तारलागुड़ा जंगल मार्ग का उपयोग पशु तस्करों द्वारा लंबे समय से किया जा रहा है। यह इलाका बेहद दुर्गम है और पुलिस की नियमित पेट्रोलिंग से दूर माना जाता रहा है। इस मार्ग का फायदा उठाकर कई बार मवेशियों को छत्तीसगढ़ से तेलंगाना या अन्य राज्यों में अवैध रूप से भेजा जाता है। हाल की इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि तस्करों का नेटवर्क न केवल सक्रिय है, बल्कि संगठित रूप से काम कर रहा है।

मद्देड़ थाना पुलिस की सतर्कता की सराहना

इस सफल अभियान के लिए मद्देड़ थाना पुलिस की चारों ओर सराहना हो रही है। सीमावर्ती क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने और पशु तस्करी जैसी अमानवीय गतिविधियों पर अंकुश लगाने में यह कार्रवाई मील का पत्थर साबित हो सकती है। थाना प्रभारी ने कहा कि पुलिस की टीम लगातार सतर्क है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

आगे की जांच जारी

पुलिस फिलहाल यह पता लगाने में जुटी है कि क्या इन तस्करों का कोई बड़ा नेटवर्क तेलंगाना या छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में फैला हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर उनके अन्य साथियों की जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि क्या इनमें से कोई आरोपी पूर्व में भी ऐसे मामलों में शामिल रहा है।


यह कार्रवाई न केवल पशु संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन और पुलिस संयुक्त रूप से तस्करी, क्रूरता और अवैध गतिविधियों के विरुद्ध प्रतिबद्ध है। सीमावर्ती क्षेत्रों में इस तरह की सख्ती से न केवल अवैध कारोबारियों को संदेश मिलेगा, बल्कि आम जनता में सुरक्षा और विश्वास का माहौल भी स्थापित होगा।

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