गौ तस्करी के खिलाफ बड़ा अभियान: पुलिस ने पकड़ा अंतरराज्यीय गिरोह

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NV News नारायणपुर, 23 जुलाई 2025 — छत्तीसगढ़ में अवैध गौ तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। नारायणपुर जिला पुलिस ने अंतरराज्यीय गौ तस्करी गिरोह के चार सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए उनके कब्जे से 34 मवेशियों को मुक्त कराया है। इस कार्रवाई को प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत अंजाम दिया गया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को गौ तस्करों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के आदेश दिए हैं।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए आरोपी दशाराम मुरामी (48), दियारू राम मुरामी (40), शंकर लेकाम (19) और रामधर बेके (30) सभी दंतेवाड़ा जिले के गीदम क्षेत्र के निवासी हैं। ये आरोपी लंबे समय से गोतस्करी में लिप्त थे और पिछले 8–10 वर्षों से इस अवैध व्यापार को अंजाम दे रहे थे। गिरोह का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से मवेशियों को खरीदकर क्रूरता के साथ तेलंगाना तक ले जाना था, जहां उनका वध किया जाना था।
मुखबिर की सूचना से फंसा जाल
इस कार्रवाई की शुरुआत एक मुखबिर से मिली सटीक सूचना के आधार पर हुई। सूचना मिली थी कि गिरोह के सदस्य करहीभदर (जिला बालोद) से बड़ी संख्या में मवेशियों को खरीदकर गीदम के रास्ते तेलंगाना की ओर ले जा रहे हैं। इस पर पुलिस अधीक्षक श्री रोबिनसन गुड़िया के निर्देशन और मार्गदर्शन में थाना धौड़ाई की टीम ने त्वरित कार्रवाई की योजना बनाई और सोमवार को टीम ने दबिश दी।
कार्रवाई के दौरान पुलिस ने एक वाहन को रोका जिसमें मवेशियों को अत्यंत अमानवीय और क्रूर तरीके से ठूंस-ठूंस कर भरा गया था। मवेशियों को ना तो खाने-पीने की व्यवस्था दी गई थी और ना ही उनकी देखभाल का कोई इंतजाम था। वाहन में किसी भी प्रकार के पशु परिवहन या व्यापार के वैध दस्तावेज नहीं पाए गए। इस आधार पर आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया और सभी 34 मवेशियों को मुक्त कर सुरक्षित गोठानों में पहुंचाया गया।
गौ तस्करों का था संगठित नेटवर्क
पूछताछ में पता चला कि यह गिरोह एक लंबे समय से संगठित रूप से कार्य कर रहा था और इनके तार छत्तीसगढ़ से लेकर तेलंगाना तक फैले हुए हैं। गिरोह के सदस्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से मवेशियों की खरीद कर उन्हें गुप्त रास्तों से तेलंगाना ले जाकर वध के लिए बेचते थे।
गिरफ्तार आरोपियों ने यह भी स्वीकार किया है कि वे अब तक सैकड़ों मवेशियों की तस्करी कर चुके हैं और इस कार्य के लिए स्थानीय दलालों से भी सहयोग लेते थे। पुलिस को संदेह है कि इस गिरोह के और भी सदस्य छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में सक्रिय हैं, जिनकी तलाश जारी है।
कानूनी धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की धारा 11(1)(घ) तथा छत्तीसगढ़ कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 की धारा 4, 6 और 10 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इन धाराओं के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर आरोपियों को कठोर सजा हो सकती है।
पुलिस अधिकारियों ने यह भी बताया कि इस गिरोह के पास किसी भी प्रकार का पशु परिवहन, क्रय-विक्रय अथवा व्यापार से संबंधित वैध लाइसेंस अथवा दस्तावेज नहीं था। सभी आरोपी मवेशियों को गैरकानूनी तरीके से राज्य की सीमा पार ले जाने की फिराक में थे।
सरकार और प्रशासन सख्त
प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा ने पूरे राज्य में अवैध गो तस्करी के मामलों को लेकर पुलिस प्रशासन को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि “गौ तस्करी न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि यह पशु क्रूरता का गंभीर अपराध भी है। ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाएगी और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने प्रदेश की जनता से भी अपील की है कि यदि कहीं भी अवैध मवेशी तस्करी या पशु क्रूरता की जानकारी मिले तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करें।
समाज में जागरूकता जरूरी
इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अवैध गोतस्करी जैसी गतिविधियाँ अभी भी ग्रामीण और सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय हैं। पुलिस की तत्परता और जनता की सतर्कता ही ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने में कारगर सिद्ध हो सकती है।
सामाजिक संगठनों और पशु कल्याण समितियों ने नारायणपुर पुलिस की इस तत्परता की सराहना की है और मांग की है कि ऐसे गिरोहों को जड़ से खत्म करने के लिए निरंतर अभियान चलाया जाए।
बॉर्डर बना तस्करी का अड्डा, पुलिस एक्शन मोड
नारायणपुर पुलिस की यह कार्रवाई राज्य में पशु तस्करी के खिलाफ चल रहे अभियान की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। 34 मवेशियों को सुरक्षित छुड़ाकर उन्हें आश्रय स्थल पहुंचाना न सिर्फ एक मानवीय कार्य है, बल्कि यह कानून के पालन की भी मजबूत मिसाल है। पुलिस द्वारा की जा रही आगे की विवेचना से और भी चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है।
पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार की यह मुहिम तब तक जारी रहेगी जब तक इस तरह के अपराध पूरी तरह बंद नहीं हो जाते। जनता और मीडिया की सहभागिता से ही इस लड़ाई को और मजबूत बनाया जा सकता है।