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NV News Lok Sabha Election: भाजपा के सीनियर नेता रहे और पूर्व सांसद स्व. लरंग साय की पोती हेमा सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है. उन्होंने पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के सामने कांग्रेस का दामन थामा और कहा कि 400 पार की बात करने वाले समझ नहीं पा रहे हैं कि इससे लोकतंत्र खत्म तो होगा ही 400 पार की बात करने वाले भी इसके बाद नहीं रह जायेंगे.
Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के पहले छत्तीसगढ़ में दल-बदल की राजनीति हो रही है. जहां एक ओर कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे है. वहीं सरगुजा के बीजेपी को झटका लगा है. बीजेपी के सीनियर नेता रहे और पूर्व सांसद स्व. लरंग साय की पोती हेमा सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है.
पूर्व सांसद स्व. लरंग साय की पोती हेमा सिंह ने कांग्रेस में शामिल
भाजपा के सीनियर नेता रहे और पूर्व सांसद स्व. लरंग साय की पोती हेमा सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है. उन्होंने पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के सामने कांग्रेस का दामन थामा और कहा कि 400 पार की बात करने वाले समझ नहीं पा रहे हैं कि इससे लोकतंत्र खत्म तो होगा ही 400 पार की बात करने वाले भी इसके बाद नहीं रह जायेंगे. वहीं हेमा सिंह के कांग्रेस का दामन थामने के बाद इसका लोकसभा चुनाव में कितना असर होगा यह साफ नहीं है. लेकिन इससे साफ हो गया है कि स्व लरंग साय का परिवार अब भाजपा से दूरी बनाना चाहता है, इससे भाजपा का पुराना वोटबैंक जो लरंग साय की वजह से था उसमें असर पड़ेगा.
हेमा सिंह ने कांग्रेस पर कसा तंज
हेमा सिंह पुलिस में नौकरी करती थीं और उन्होंने नौकरी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन किया है, उन्होंने चश्मा दिखाते हुए भाजपा पर तंज कसा और कहा कि इस चुनाव में भाजपा को साफ दिखाई देगा, उनका चश्मा उतर जायेगा, लरंग साय भारतीय जनता पार्टी के नेता थे. वह लोकसभा के सदस्य थे और 1977 से 1979 तक श्रम मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। वह 1977 में भारतीय लोक दल के रूप में , 1989 और 1998 में भारतीय जनता पार्टी के रूप में सरगुजा लोकसभा क्षेत्र से संसद सदस्य थे.
कौन है, स्वर्गीय लरंग साय
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय लरंग साय की पहचान एक तेजतर्रार और प्रखर नेता के रूप में भाजपा संगठन में होती थी. उनका जीने का अंदाज एकदम अलग था. अपनी सादगी और स्पष्टवादिता के चलते काका लरंग साय पूरे सरगुजा में आम जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे. उन्हीं के प्रयास से अम्बिकापुर तक रेल लाइन पहुंच पाई थी. इसके लिए उन्होंने लंबा आंदोलन चलाया था. केंद्रीय राज्य मंत्री बनने के बावजूद वे अपने गांव और जमीन से जुड़े रहे. तामझाम की राजनीति से दूर खुद के खेतों पर हल बैल से जोताई करने में भी वे कभी पीछे नहीं रहे. उनका यही ठेठ सरगुजिया अंदाज आज भी सरगुजा वासियों के दिलों दिमाग पर छाया हुआ है. सांसद पद पर होने के दौरान भी वे रिक्शे पर बैठकर अम्बिकापुर शहर की सड़कों में घूमते नजर आते थे.
कभी नहीं की स्वार्थ की राजनीति
राष्ट्रीय स्तर के भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ आत्मीय संबंध और केंद्र सरकार का हिस्सा बनने के बावजूद काका लरंग साय ने आज के राजनेताओं के समान राजनीति नहीं की. गांव और जमीन से जुड़े रहने के कारण उनकी अलग छवि आज भी बरकरार है. उन्होंने कभी स्वार्थ की राजनीति नहीं की और ना ही अपने गांव और पंचायत, विकासखंड को तरजीह दिया.