कन्या स्कूल में व्याख्याता निलंबित: नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप में कार्रवाई, पुलिस ने दर्ज किया मामला
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जशपुर। सरगुजा संभाग से एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने विद्यालयी परिसर में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता खड़ी कर दी है। शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जशपुर में पदस्थ व्याख्याता गिरधारी राम यादव को एक नाबालिग छात्रा के साथ छेड़छाड़, अमर्यादित व्यवहार और अनैतिक हरकतों के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
यह सख्त कार्रवाई सरगुजा संभाग कमिश्नर नरेंद्र कुमार दुग्गा द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के प्रतिवेदन और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई।
छात्रा ने लगाए गंभीर आरोप:-
मामले के अनुसार, कक्षा 10वीं की छात्रा ने आरोप लगाया कि व्याख्याता ने कक्षा के दौरान ही नहीं, बल्कि उसके बाहर भी उसके साथ अशोभनीय हरकतें कीं और अनुचित तरीके से प्रताड़ित किया। छात्रा के बयान ने स्कूल प्रशासन को हिलाकर रख दिया, जिसके तुरंत बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने विस्तृत प्रतिवेदन तैयार कर संभागायुक्त को भेजा।
तुरंत निलंबन आदेश जारी:-
प्राथमिक जांच में तथ्य सही पाए जाने पर संभागायुक्त ने गिरधारी राम यादव को तुरंत निलंबित कर दिया। आदेश में यह भी उल्लेख है कि एक शिक्षक द्वारा इस तरह की हरकत न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 का भी सीधा उल्लंघन है।
कमिश्नर का स्पष्ट कहना है कि शिक्षक का मूल दायित्व छात्रों को सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण उपलब्ध कराना है, लेकिन आरोपी ने इस भरोसे को तोड़ा है।
पुलिस ने BNS की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया:-
जशपुर पुलिस ने आरोपी व्याख्याता के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा
74, 75, 64(2)(m), 65(1), 6 और 8
के तहत अपराध दर्ज किया है, जिनमें—
- बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध
- अनुचित स्पर्श
- डराना या धमकाना
- नाबालिग की मर्यादा भंग
- दुराचार
- जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।
पुलिस ने बताया कि जांच तेज़ी से जारी है और साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।
अभिभावकों में आक्रोश, सुरक्षा बढ़ाने की मांग:-
घटना के बाद स्थानीय अभिभावक संगठनों में आक्रोश देखने को मिला है। उन्होंने आरोपी शिक्षक पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है और सभी स्कूलों में सुरक्षा एवं निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने की अपील की है।
संदेश स्पष्ट: बच्चों की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं:-
यह घटना एक बार फिर बताती है कि शिक्षण संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनैतिक व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संभागीय प्रशासन और जिला पुलिस की त्वरित कार्रवाई से यह स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे मामलों में ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है।
