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NV NEWS-चुनाव के पहले सामाजिक और राजनीतिक दोनों ही आंदोलन तेज हो जाते हैं. मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है, जहां भोपाल में करणी सेना का आंदोलन चल रहा है. इस विशाल आंदोलन ने शिवराज सरकार की नींद उड़ा दी है. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी भी इस मौके को भुनाने में पीछे नहीं है. पूर्व सीएम कमलनाथ की ओर से सोशल मीडिया पर आंदोलन को लेकर मरहम लगाया जा रहा है. हालांकि, कांग्रेस भी कोई ठोस आश्वासन देने की स्थिति में दिखाई नहीं दे रही.
20 मांगों को लेकर जीवन सिंह शेरपुर
राजधानी भोपाल में करणी सेना ने जीवन सिंह शेरपुर के नेतृत्व में अपनी 20 मांगों को लेकर जंबूरी मैदान में डेरा डाल रखा है. करणी सेना आंदोलन से पीछे हटने को तैयार नहीं है. करणी सेना के 5 नेताओं द्वारा अनशन भी शुरू कर दिया गया है. इस विशाल आंदोलन को लेकर सरकार का आंकलन गलत साबित हुआ. सरकार की ओर से यह आंकलन किया जा रहा था कि कम संख्या में आंदोलनकारी एकत्रित होंगे, मगर आंदोलनकारियों की ऐतिहासिक भीड़ ने शिवराज सरकार की नींद उड़ा दी है.
करणी सेना ने यह भी अल्टीमेटम दिया है कि यदि मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे राजनीति के मैदान में भी उतर सकते हैं. करणी सेना का यह भी दावा है कि पिछड़े वर्ग का भी उन्हें पुरजोर समर्थन मिल रहा है. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जीवन सिंह शेरपुर ने बताया कि उनकी मांगें किसी व्यक्ति या समाज की मांग नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकार से जुड़ी मांग है. इसलिए पिछड़ा वर्ग के लोगों का भी उन्हें समर्थन मिल रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का ट्वीट
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मौके की नजाकत को समझते हुए सोशल मीडिया पर ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार में लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करना भी आसान नहीं है. भोपाल में चल रहे आंदोलन को लेकर सरकार ने कई विघ्न डालने की कोशिश की. सरकार ने परिवहन के दौरान भी लोगों को रोक दिया. इसके बाद भी बड़ी संख्या में आंदोलनकारी पहुंच गए. उन्होंने यह भी लिखा है कि यह सब कुछ सरकार के खिलाफ आक्रोश का एक हिस्सा है. हालांकि करणी सेना की 20 मांगों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बात का जिक्र नहीं किया कि उनकी सरकार बनने पर वह मांग मंजूर करने को तैयार हैं या नहीं
करणी सेना की प्रमुख मांग
करणी सेना की प्रमुख मांग हैं जाति नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देना, बेरोजगारों को रोजगार देना, एससी एसटी एक्ट में बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं होना. उनकी मांगों में पद्मावत फिल्म के विरोध के दौरान दर्ज किए गए अपराधिक मामलों को वापस लेना शामिल है. इसके अलावा करणी सेना ने यह भी मांग उठाई की पिछला और सामान्य वर्ग के लोगों के लिए एक आयोग का गठन किया जाए, जो एसएसटी वर्ग के लोगों से होने वाली प्रताड़ना के खिलाफ अपनी आवाज उठा सके.
इन सब मुद्दों पर फैसला लेना सरकार के लिए आसान नहीं है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. हालांकि बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस ने भी मांगों को लेकर रुख साफ नहीं किया है.
करणी सेना के आंदोलन को लेकर सरकार ने अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए कई बार भेजा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में व्यस्त हैं. इसके अलावा सरकार के दूसरे मंत्री भी इंदौर में जुटे हुए हैं, जबकि राजधानी में चल रहे आंदोलन की पल-पल खबर ली जा रही है. करणी सेना के पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक लिखित आदेश नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. वे घर से राशन लेकर आंदोलन के मैदान में आए हैं.