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N.V. न्यूज़ आदियोगी: सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने साल 1983 में अपने 7 साथियों के साथ योग क्लास की शुरुआत की थी। आज उनका ‘ईशा योग फाउंडेशन’ किसी पहचान का मोहताज नहीं है। कोयंबटूर से करीब 30 किलोमीटर दूर वेल्लिंगिरी की पहाड़ी पर स्थित ईशा फाउंडेशन योग के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां देश-विदेश से हजारों की संख्या में लोग योग, मेडिटेशन और आध्यात्म दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
150 एकड़ में फैला है ईशा फाउंडेशन
ईशा फाउंडेशन करीब 150 एकड़ में फैला है। आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक फाउंडेशन में मुख्य तौर पर योग के 4 प्रमुख आयामों- क्रिया, ज्ञान, भक्ति और कर्म का पठन-पाठन होता है। ईशा फाउंडेशन में भगवान शिव की 112 फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसे ‘आदियोगी’ के नाम से भी जाना जाता है। तमाम श्रद्धालु इसकी परिक्रमा भी करते हैं।
500 स्टील से बनी है आदियोगी
यह प्रतिमा गिनीज बुक में शामिल है। यह 25 फ़ीट चौड़ी है और ये 500 टन स्टील से बनी है। आपको बता दें कि हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर ईशा फाउंडेशन में भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग जुटते हैं।
ईशा योग केंद्र में कई अनूठी ईमारतें हैं। वहीं 13 फुट ऊंचा ध्यान लिंग है। जिसको प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित किया गया है। यह शिवलिंग काले ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है। यहां लोग बैठकर ध्यान लगाते हैं।
आदियोग अलायम एक विशाल कार्यक्रम कक्ष है। यह बयासी हज़ार स्क्वायर फीट में फैला है, जहां हजारों लोगों की बैठने की व्यवस्था है। साथ ही इसमें हठ योग प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाता है। जो 21 सप्ताह तक चलता है।
ईशा होम स्कूल एक आवासीय स्कूल है, जिसमें उच्चस्तरीय शिक्षा प्रदान की जाती है। जानकारी के मुताबिक स्कूल में प्रतिभाशाली शिक्षकों द्वारा भारतीय पद्धति से शिक्षा दी जाती है। जिसमें सुबह विद्यार्थियों को योग भी सिखाया जाता है।
स्पंद हॉल 64 हजार स्क्वायर फीट में बना है। ईशा योग केंद्र के योग और तमाम दूसरे बड़े कार्यक्रम यहीं आयोजित किये जाते हैं। साथ ही स्पंद हॉल में एक गार्डन और मेडिटेशन हॉल भी है। जहां लोग एकत्र हो कर योग करते हैं।