Learning by Doing से शिक्षा में नवाचार, शिक्षक कौशल किशोर सिंह को उत्कृष्ट सम्मान”

Oplus_131072

Share this

NV News Manendragarh-Bharatpur-Chirmiri: Learning by Doing शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों को जीवन में आगे बढ़ाने और उन्हें व्यावहारिक ज्ञान से जोड़ने का माध्यम भी है। इसी सोच को अपनाते हुए जिला मनेन्द्रगढ़-भरतपुर-चिरमिरी के विकासखंड मनेन्द्रगढ़ अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला बरकेला(Government Pre Secondary School Barkela) में पदस्थ शिक्षक  कौशल किशोर सिंह ने अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी नवीन शिक्षण पद्धतियों और विद्यार्थियों को आसान तरीके से विषय समझाने की कला को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा उन्हें उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया।

यह सम्मान जिले के कलेक्टर  डी. वेंकट राहुल ने एक गरिमामय समारोह में प्रदान किया। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, अन्य शिक्षक तथा विद्यार्थियों के अभिभावक भी मौजूद थे।

Making Education Simple and Engaging”

श्री कौशल किशोर सिंह लंबे समय से बच्चों को पढ़ाने के लिए पारंपरिक पद्धति से हटकर नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका मानना है कि बच्चों को अगर सिर्फ रटने के लिए कहा जाए तो वे जल्दी ऊब जाते हैं, लेकिन यदि उन्हें प्रैक्टिकल तरीके से पढ़ाया जाए तो वे न सिर्फ विषय को बेहतर समझते हैं बल्कि उसमें रुचि भी लेते हैं।
इसी उद्देश्य से उन्होंने कक्षा में ‘करके सीखना’ (Learning by Doing) की अवधारणा लागू की। गणित, विज्ञान जैसे कठिन माने जाने वाले विषयों को उन्होंने प्रयोगों और गतिविधियों के माध्यम से सरल और मनोरंजक बनाया। उदाहरण के तौर पर विज्ञान की कक्षाओं में वे बच्चों को छोटे-छोटे प्रयोग कराते हैं, जिससे वे सिद्धांतों को अपनी आंखों से देखकर समझ पाते हैं। गणित की पढ़ाई में भी वे आकृतियों, चार्ट और दैनिक जीवन के उदाहरणों से बच्चों को जोड़ते हैं

दूरगामी सोच 

श्री सिंह की शिक्षण शैली से स्कूल के परिणामों में लगातार सुधार देखने को मिला है। विद्यार्थी न केवल परीक्षाओं में अच्छे अंक ला रहे हैं, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है। कई छात्र अब विज्ञान और गणित को कठिन विषय नहीं मानते। अभिभावक भी मानते हैं कि बच्चों के पढ़ाई के प्रति नजरिए में बदलाव आया है।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि कौशल किशोर सिंह जैसे शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रेरणा हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपनी दूरगामी सोच और रचनात्मकता से यह सिद्ध कर दिया है कि अगर नीयत और लगन हो तो शिक्षा को हर बच्चे के लिए आसान बनाया जा सकता है।

“Collector Appreciates Efforts to Make Learning Easy and Practical”

सम्मान समारोह में कलेक्टर  डी. वेंकट राहुल ने कहा कि “जिला प्रशासन ऐसे शिक्षकों को सम्मानित कर गर्व महसूस करता है, जो अपनी निष्ठा और परिश्रम से बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। कौशल किशोर सिंह ने जिस तरह प्रयोगात्मक पद्धति से बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया है, वह अन्य शिक्षकों के लिए अनुकरणीय है।”
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबों का ज्ञान देना नहीं है, बल्कि बच्चों में जिज्ञासा और नवाचार की भावना विकसित करना है। इस दिशा में Kaushal Kishor Singh का योगदान सराहनीय है।

“Education Bringing Benefits to Rural Children”

बरकेला जैसी ग्रामीण शाला में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण कार्य माना जाता है। यहां अक्सर संसाधनों की कमी रहती है, लेकिन  सिंह ने अपनी रचनात्मकता और आत्मविश्वास से इस कमी को पूरा किया। उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए स्थानीय संसाधनों का उपयोग किया और यह साबित किया कि शिक्षा का असली आधार शिक्षक की सोच और उसकी मेहनत है।

बच्चों को प्रायोगिक और नवीन तरीकों से शिक्षा

सम्मान मिलने के बाद कौशल किशोर सिंह ने कहा कि यह सम्मान केवल उनका नहीं, बल्कि पूरी शाला और विद्यार्थियों का है। उन्होंने वादा किया कि आगे भी वे इसी तरह बच्चों को प्रायोगिक और नवीन तरीकों से शिक्षा देंगे। साथ ही अन्य शिक्षकों के साथ भी अपने अनुभव साझा करेंगे ताकि जिले के अधिक से अधिक बच्चे लाभान्वित हो सकें।

Learning by Doing

आज के दौर में जब शिक्षा को डिजिटल और आधुनिक साधनों से जोड़ा जा रहा है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक द्वारा बच्चों को करके सीखना की पद्धति से पढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल बच्चों के लिए शिक्षा को रोचक बनाता है बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन के लिए भी तैयार करता है।
कौशल किशोर सिंह को मिला यह उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान इस बात का प्रमाण है कि निष्ठा और नवाचार से भरा शिक्षण हर परिस्थिति में संभव है। उनका कार्य अन्य शिक्षकों को भी प्रेरित करेगा कि वे विद्यार्थियों को रटने के बजाय सीखने और समझने का अवसर दें।

Share this