भारत पहली बार अमेरिका से करेगा एलपीजी आयात, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने एक साल का समझौता किया

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नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को घोषणा की कि भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका से एलपीजी आयात करने के लिए एक साल की अवधि वाला समझौता किया है। इस ऐतिहासिक कदम का उद्देश्य देश में पर्याप्त, स्थिर और किफायती एलपीजी आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

‘ऐतिहासिक पहल’: पुरी:-

सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से हरदीप सिंह पुरी ने इसे एक ‘ऐतिहासिक पहल’ बताया। उन्होंने कहा कि भारत अब अमेरिकी एलपीजी बाजार के लिए अपने दरवाज़े खोल रहा है, जिससे देश की एलपीजी सोर्सिंग में विविधता आएगी और करोड़ों उपभोक्ताओं को सुरक्षित व किफायती गैस मिलती रहेगी।

2.2 मिलियन टन एलपीजी का आयात:-

इस डील के तहत भारत करीब 2.2 मिलियन टन एलपीजी अमेरिका से आयात करेगा। यह मात्रा देश के वार्षिक एलपीजी इंपोर्ट का लगभग 10 प्रतिशत है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है।

पहला लॉन्ग-टर्म कांट्रैक्ट:-

मंत्री ने बताया कि भारतीय बाजार के लिए यह अमेरिकी एलपीजी से जुड़ा पहला लंबी अवधि का समझौता है।

इसमें IOCL, BPCL और HPCL की संयुक्त टीमों ने भाग लिया, जिन्होंने अमेरिकी उत्पादकों के साथ कई दौर की बातचीत की और पिछले कुछ महीनों में कई बार अमेरिका का दौरा भी किया।

वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद राहत:-

पुरी ने बताया कि पिछले साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी कीमतें 60% तक बढ़ीं, फिर भी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं को प्रति सिलेंडर केवल 500–550 रुपये का ही भुगतान करना पड़ा।

सरकार ने लोगों को बढ़ी हुई कीमतों से बचाने के लिए 40,000 करोड़ रुपये का बोझ खुद वहन किया।

भारत में एलपीजी सप्लाई होगी और मजबूत:-

अमेरिका से एलपीजी आयात शुरू होने से भारत की आपूर्ति श्रृंखला और मजबूत होगी तथा घरेलू बाजार में एलपीजी कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, सोर्सिंग का दायरा बढ़ने से देश में गैस सिलेंडर की उपलब्धता निरंतर बनी रहेगी और किसी प्रकार की कमी का जोखिम कम होगा।

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