जीवन में जब हम धर्म की रक्षा करते,तो धर्म ही स्वता हमारी रक्षा करती है…आचार्य शास्त्री जी

Share this

N.V. न्यूज़ तखतपुर: बेलसरी महामाया मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस कथा व्यास आचार्य श्री रामप्रताप शास्त्री जी महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में भक्तों को दिव्य वामन अवतार,श्री राम कथा व कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई

इस दौरान जीवंत झांकियों के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। पूरा पंडाल नंद के घर आनंद भयो व जय कन्हैया लाल की.. के उद्घोष से गूंज उठा। सुमधुर भजनों के साथ कथा श्रवण करने भक्तों की भारी भीड़ रही। कथा के चौथे दिन शनिवार को वामन अवतार बताया कि भगवान ने राजा बलि से दान में तीन ही पग मांगा। प्रभु ने पहले पग में राजा बलि का मन नापा, तो दूसरे में पूरी सृष्टि यानी धन को नाप दिया। जब तीसरे पग की बारी आई, तो राजा बलि भी मूक हो गया। तब उनकी पत्नी आगे आई और राजा बलि को अपना तन भगवान को अर्पित कर देने की बात कही। इस तरह राजा बलि के दान में उनकी पत्नी का भी उतना ही योगदान है। इस तरह राजा बलि ने तन, मन व धन भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया। शास्त्री जी ने राम कथा का वर्णन करते हुए मनुष्य को उनके जीवन चरित्र का अनुसरण करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि जीवन में बहुत कष्ट प्राप्त करते हुए भी अपने निज धर्म का त्याग कभी नहीं करना चाहिए यह प्रेरणा भगवान श्री राम के चरित्र से हमें प्राप्त होती है जीवन में जब हम अपने धर्म की रक्षा करते हैं तो धर्म ही स्वता हमारी रक्षा करता है और जब हम धर्म का त्याग करके अधर्म के मार्ग में चलते हैं तो साक्षात धर्म ही हमारा अस्तित्व मिटा देता है

कथा के दौरान रामचरित मानस के दोहों व चौपाइयों का संक्षेप में वर्णन करते हुए उसका सार बताया। कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। सुमधुर भजन गायन के बीच भगवान के कृष्ण रुप में जन्म लेने का उद्देश्य बताया।

Share this