छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र का पहला दिन: खाद संकट और भर्ती गड़बड़ी पर विपक्ष का हंगामा, अनुपूरक बजट नहीं लाएगी सरकार

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NV News रायपुर, 14 जुलाई 2025 – छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत जोरदार हंगामे और तीखी बहस के साथ हुई। सत्र के पहले दिन विपक्ष ने खाद की कमी और 2024 में आयोजित राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी के मुद्दों पर सरकार को घेरा। डीएपी खाद की भारी कमी और उसकी बढ़ती कीमतों को लेकर विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव लाया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की निष्क्रियता और राज्य सरकार की अनदेखी के चलते खाद की भारी किल्लत है, जिससे किसान त्रस्त हैं। उन्होंने कहा, “1300 रुपए में मिलने वाला डीएपी अब किसानों को बाजार में 2100 रुपए में मिल रहा है। सरकार धान उत्पादन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से जानबूझकर खाद की आपूर्ति रोक रही है।”

बाजार में अमानक बीज और बिजली संकट का मुद्दा
भूपेश बघेल ने सदन में यह भी कहा कि बाजारों में किसानों को अमानक और घटिया गुणवत्ता के बीज मिल रहे हैं। साथ ही उन्होंने बिजली कटौती का मुद्दा उठाते हुए कहा कि “प्रदेश में खाद और बीज की कमी के साथ-साथ बिजली कटौती ने किसानों की स्थिति को बदतर बना दिया है। सरकार की निष्क्रियता साफ झलक रही है।”

राजस्व निरीक्षक भर्ती में गड़बड़ी पर हंगामा
प्रश्नकाल के दौरान 2024 में हुई राजस्व निरीक्षक (RI) भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इस मुद्दे पर कांग्रेस विधायक राजेश मूणत ने सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह गड़बड़ी पिछली सरकार के कार्यकाल में नहीं, बल्कि मौजूदा सरकार के समय हुई है। विपक्षी सदस्यों ने सदन में शोरगुल करते हुए वॉकआउट कर दिया। भूपेश बघेल ने मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि “राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों को बचा रही है।”

ईओडब्लू द्वारा 40 बिंदुओं पर जांच जारी
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने सदन में भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की बात स्वीकारते हुए बताया कि पांच सदस्यीय जांच समिति ने अनियमितताएं पाई हैं और अब ईओडब्लू (आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ) को 40 बिंदुओं पर जांच के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री वर्मा ने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र से पहले कार्रवाई की जाएगी।

अजय चंद्राकर का सवाल और मंत्री का जवाब
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने ईओडब्लू जांच के आदेश देने वाले प्राधिकरण के बारे में जानकारी मांगी, जिस पर मंत्री वर्मा ने स्पष्ट किया कि जांच का निर्णय संबंधित विभाग द्वारा लिया गया है।

महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में भर्ती गड़बड़ी का मामला
सत्र के दौरान अजय चंद्राकर ने महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भर्ती में रोस्टर नियमों का उल्लंघन किया गया है और भारी मनमानी हुई है। इस पर मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि “भर्ती प्रक्रिया की जांच के लिए समिति बनाई गई है, और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।”

वित्त और पर्यावरण से जुड़े दस्तावेज सदन में प्रस्तुत
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने विधानसभा में वाणिज्यिक कर और छत्तीसगढ़ मूल्य संवर्धित कर अधिनियम, 2005 से संबंधित दस्तावेज पटल पर रखे। वहीं वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 का वार्षिक प्रतिवेदन (2023-24) सदन में प्रस्तुत किया।

नेता प्रतिपक्ष का तीखा हमला
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से खाद के मुद्दे पर सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकारी समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है, जबकि व्यापारियों के पास इसका भंडारण है। इससे किसानों में सरकार के प्रति अविश्वास गहराता जा रहा है।”

मानसून सत्र में नहीं आएगा अनुपूरक बजट
राज्य सरकार ने इस मानसून सत्र में अनुपूरक बजट पेश नहीं करने का निर्णय लिया है। राज्य गठन के बाद यह पहला मौका होगा जब सरकार अनुपूरक बजट नहीं लाएगी। विधानसभा और वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक, सरकार के पास अगले तीन महीनों के खर्च के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन हैं। इसके अलावा, बीते बजट सत्र में आकस्मिकता निधि को 100 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ किया गया था। सरकार इस निधि से 999 करोड़ रुपए तक के आकस्मिक खर्च को वहन कर सकती है।

मानसून सत्र में उठेंगे तीखे सवाल
14 जुलाई से 18 जुलाई तक चलने वाले पांच दिवसीय मानसून सत्र के लिए विधायकों ने कुल 996 सवाल लगाए हैं। इससे यह स्पष्ट है कि इस बार सत्र के दौरान कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा और सरकार पर विपक्ष के तीखे हमले देखने को मिलेंगे। भाजपा सरकार को सत्ता में आए अब लगभग डेढ़ वर्ष हो चुके हैं, ऐसे में विपक्ष सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र तीखे सवाल-जवाब और गरमागरम बहसों से भरा रहने वाला है। खाद संकट, भर्ती घोटाले, बिजली कटौती और वित्तीय फैसलों को लेकर विपक्ष पूरी तरह से सरकार को घेरे हुए है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन मुद्दों पर किस तरह से जवाब देती है और कौन-कौन से फैसले लिए जाते हैं।

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