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NV News रायपुर:- छत्तीसगढ़ प्रसिद्ध प्राचीन लोक पर्व पोला तिहार 27 अगस्त को मनाया जाएगा। पोला तिहार ग्रामीण अंचलों में अच्छी तरीके से मनाया जाता है घर परिवार की बेटियां अपने ससुराल से मायके जाती हैं इस पर्व में घरों में अनेक अनेक प्रकार के व्यंजन बनाया जाता है यह छत्तीसगढ़ का सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक त्योहार है छत्तीसगढ़ी के प्रसिद्ध व्यंजन जिसे घरों में बनाया जाता है विशेष व्यंजन जैसे ,ठेठरी ,खुरमी, करी के लड्डू ,आईरसा ,देहराउरी ,गुरहा चीला, कुसली, चौसेला, कतरा आदि प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन है जो छत्तीसगढ़ में प्राया सभी घरों में बनता है
बच्चों को नांदिया बैल से लेकर आकर्षक खिलौने आकर्षित कर रहे हैं।
ग्रामीण अंचल से लेकर शहर में इसे लेकर लोगों के बीच जबरदस्त उत्साह है। पारंपरिक पोला का तिहार किसान और बच्चे हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे। इस साल लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। पर्व को लेकर बच्चों के लिए व पूजा अर्चना के लिए मिट्टी से बने बैल व खिलौनाें का बाजार सज-धज कर तैयार हो चुके हैं। मिट्टी से बने बैल अलग-अलग रंग और डिजाइन में बिकने लगे हैं।
इसके अलावा मिट्टी से बने पोला और खिलौने मटका, कढ़ाई, अन्य प्रकार के मिट्टी के बर्तनों की दुकान ,सभी प्रमुख बाजार और चौक चौराहों में बिकने लगा है। खिलौना बनाने वालों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल खिलौने का भाव थोड़ा बढ़ा हुआ है। नांदिया बैल का जोड़ा पिछले साल जहां 50 रुपए था तो वहीं इस साल 60 रुपए में बिक रहा है। मान्यता है कि पोला पर्व के दिन किसान खेतों में नहीं जाते, अपना काम बंद रखते हैं। इस दिन अन्न माता गर्भ धारण करती हैं। धान के पौधों में दूध भरता है। शहर में पर्व के दिन बच्चे मिट्टी के बैलों को दौड़ आते हैं वहीं कई ग्रामीण अंचलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है, जो विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है।
अच्छी वर्षा के साथ किसानों में खुशी
पोला पर्व में बैलों की पूजा करने की परंपरा है। प्रारंभिक चरण के कृषि कार्य पूर्ण होने से किसानों में पर्व को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। पारंपरिक पोला पर्व आयोजन की तैयारी किसानों ने कर ली है। बाजार में पर्व को लेकर रौनक बनी हुई। लोक पर्व के तौर पर पोला का उत्साह गांवों में देखा जा रहा है। कुम्हारों में मिट्टी से बने बैल, दीया, चुकिया, चक्की आदि तैयार की है।
इस दिन किसान बैल व हल की पूजा करते हैं। बैल किसानों के कृषि कार्य में सहयोगी होते हैं। घर में मिट्टी से बने बैल की स्थापना कर उसकी पूजा की जाती। बच्चों को खिलौने के तौर पर मिट्टी से बने बैल उपहार के रूप में दिया जाता है। इसके अलावा बालिकाओं को चक्की, चुकिया आदि खिलौने उपहार में देने की पंरपरा है। पर्व में उपहार देने का आशय यह है बालक- बालिकाओं में दान की आदर्श परंपरा स्थापित हो सके। आधुनिकता के इस दौर मे पोला पर्व ग्रामीण क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गया है।