सुप्रसिद्ध कवि और गीतकार केदार सिंह परिहार का निधन, छत्तीसगढ़ की माटी ने खोया अपना सपूत

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NV News रायपुर/मुंगेली( Famous poet Kedar Singh Parihar passed away )छत्तीसगढ़ की आत्मा को शब्दों की छांव देने वाले, अमर गीतों के रचनाकार, छत्तीसगढ़ रत्न से सम्मानित साहित्यकार और क्षत्रिय समाज के पुरोधा केदार सिंह परिहार अब हमारे बीच नहीं रहे। रविवार की प्रातः उन्होंने इस नश्वर संसार को छोड़ स्वर्गलोक की यात्रा कर ली। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनकी रचनाएँ छत्तीसगढ़ी समाज और संस्कृति का आईना रही हैं। विशेषकर उनकी अमर पंक्ति “छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर, मैं छानही बन जातेंव…” आज भी जनमानस में गूंज रही है और प्रदेश की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक बन चुकी है।

परिहार जी का अंतिम संस्कार उनके गृहग्राम केसतरा में दोपहर 1 बजे किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग, साहित्यकार और समाजजन मौजूद रहे। वे श्रीहरि सिंह, विनिया सिंह और प्रतिज्ञा सिंह के श्रद्धेय पिता थे।

नेताओं ने जताया शोक

उनके निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रदेश और केंद्र सरकार के कई दिग्गज नेताओं ने ट्वीट कर संवेदना प्रकट की।

केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने ट्वीट करते हुए लिखा –
“छत्तीसगढ़ की आत्मा को शब्दों की छांव देने वाले, सुप्रसिद्ध रचनाकार, ‘छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर मैं छानी बन जातेंव’ जैसी कालजयी पंक्ति के सृजनकर्ता, छत्तीसगढ़ रत्न एवं क्षत्रिय समाज के पुरोधा केदार सिंह परिहार जी अब हमारे बीच नहीं रहे। आज प्रातः उन्होंने इस नश्वर संसार को छोड़ स्वर्गलोक की यात्रा कर ली। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर 1 बजे उनके गृहग्राम केसतरा में हुआ। वे हरि सिंह, विनिया सिंह एवं प्रतिज्ञा सिंह के श्रद्धेय पिता थे।”

वहीं, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया 

छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर, मैं छानही बन जातेंव… अइसन अंतस के गीत लिखइया, प्रसिद्ध कवि अऊ गीतकार  केदार सिंह परिहार जी के देवलोक गमन के समाचार बड़ दु:खद हवय। छत्तीसगढ़ के माटी अऊ संस्कृति ला अपन गीत अऊ शब्द मा जिवंत करइया परिहार जी के अवसान ले साहित्य जगत हा सुन्ना होगे हे। भगवान मेर प्रार्थना करत हंव के दिवंगत आत्मा ला अपन श्री चरण मा ठउर देवय अऊ घर के मन ला ये बेरा मा धीरज अउ संबल देवय।”

इसी तरह गृह मंत्री विजय शर्मा, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधायक भावना बोहरा सहित कई नेताओं ने भी ट्वीट कर शोक संवेदना प्रकट की। सभी ने उन्हें छत्तीसगढ़ की माटी और संस्कृति का सच्चा सेवक बताया, जिनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।

 

साहित्य और समाज दोनों ने एक बड़ा स्तंभ खो दिया

केदार सिंह परिहार न केवल एक कवि थे बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धारा के प्रवाहक भी थे। उनकी कविताएँ, गीत और रचनाएँ छत्तीसगढ़ की अस्मिता, लोकजीवन और परंपराओं को जीवंत करती रही हैं। उन्होंने अपनी कलम से न सिर्फ शब्द दिए बल्कि संस्कृति को नई पहचान भी दिलाई। उनके गीत गांव-गांव, चौपाल से लेकर बड़े-बड़े मंचों तक गूंजते रहे।

उनके निधन से साहित्य और समाज दोनों ने एक बड़ा स्तंभ खो दिया है। साहित्यकारों का कहना है कि परिहार जी की कविताएँ और गीत आने वाले समय में भी छत्तीसगढ़ की आत्मा को जीवंत बनाए रखेंगे। वे अपनी सादगी, विनम्रता और जनमानस से जुड़े रहने के कारण हमेशा लोगों के दिलों में बसे रहेंगे।

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