ईडी की छत्तीसगढ़ में दबिश, भूपेश बघेल के करीबी कारोबारी पर छापा

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NV News Raipur:छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग और रेल नीर घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच लगातार तेज होती जा रही है। मंगलवार को ईडी ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले होटल और रेलवे ठेकेदारी से जुड़े व्यवसायी विजय अग्रवाल के कई ठिकानों पर छापा मारा। ईडी की यह कार्रवाई सुबह से ही चर्चा का विषय बनी रही।

सुबह करीब 6 बजे, तीन इनोवा गाड़ियों में सवार ईडी की टीम केंद्रीय सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) के जवानों के साथ दुर्ग जिले के दीपक नगर स्थित विजय अग्रवाल के निवास पर पहुंची। इसके साथ ही टीम ने उनके स्वामित्व वाले होटल सागर इंटरनेशनल सहित अन्य वाणिज्यिक परिसरों पर भी एक साथ दबिश दी। इस छापेमारी में ईडी अधिकारियों ने कई घंटे तक दस्तावेजों की छानबीन की और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किया।

प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई कस्टम मिलिंग घोटाला और रेल नीर घोटाला—दोनों मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की जांच के तहत की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, विजय अग्रवाल का नाम इन दोनों मामलों में संदिग्ध रूप से जुड़ा हुआ है, और उन्हें इस घोटाले से जुड़े आर्थिक लेन-देन का एक अहम कड़ी माना जा रहा है।

इस बीच, दोपहर 12:30 बजे ईडी का एक वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंचा और छापेमारी की निगरानी संभाली। इस दौरान ईडी ने विजय अग्रवाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी पूछताछ के लिए तलब किया है। माना जा रहा है कि वित्तीय लेन-देन और टैक्स संबंधी दस्तावेजों की गहन जांच के लिए यह कदम उठाया गया है।

सूत्रों की मानें तो विजय अग्रवाल के संबंध राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रूंगटा और कारोबारी पप्पू बंसल से भी हैं, जो कि कस्टम मिलिंग घोटाले में प्रमुख आरोपित हैं। बताया जा रहा है कि सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत की पुख्ता जानकारी मिलने के बाद ईडी ने यह कार्रवाई की है।

कस्टम मिलिंग घोटाले में यह आरोप है कि धान के कस्टम मिलिंग के नाम पर भारी मात्रा में सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया, जिसमें कुछ मीलर्स और अधिकारियों की मिलीभगत से शासकीय धन को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया। इस मामले में पूर्व में भी कई मीलर्स और अधिकारियों से पूछताछ हो चुकी है।

वहीं, रेल नीर घोटाले में रेलवे को सप्लाई किए जाने वाले पैकेज्ड पेयजल (रेल नीर) के ठेके में व्यापक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है। इस मामले में भी विजय अग्रवाल का नाम पहले सामने आ चुका है। वे भिलाई के एक प्रमुख रेलवे ठेकेदार भी हैं, और उनके पास रेल मंत्रालय से जुड़े कई अनुबंध रहे हैं।

गौरतलब है कि विजय अग्रवाल के परिवार की रायपुर स्थित फाइव स्टार होटल ‘कोर्टयार्ड मैरियट’ में भी भागीदारी है। साथ ही, उनकी कई कंपनियां और फर्में विभिन्न नामों से पंजीकृत हैं, जिनमें उनके परिवार के अन्य सदस्य भी कारोबारी रूप से सक्रिय हैं। ईडी को शक है कि इन्हीं फर्मों के माध्यम से आर्थिक लेन-देन और संपत्ति निवेश किए गए हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आ सकते हैं।

विपक्षी दलों, विशेषकर भाजपा ने इस कार्रवाई को “भ्रष्टाचार के खिलाफ सही दिशा में कदम” बताते हुए इसका स्वागत किया है, वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार अपने विरोधियों को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।

ईडी की यह कार्रवाई देर शाम तक जारी रही और सूत्रों का कहना है कि जब्त दस्तावेजों और डेटा की गहन जांच के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। मुमकिन है कि आने वाले दिनों में और लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जाए और कुछ और ठिकानों पर भी छापेमारी की जाए।

इस कार्रवाई के बाद राज्य की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी पर सीधे ईडी की जांच का असर कांग्रेस की रणनीति और पार्टी की आगामी गतिविधियों पर भी पड़ सकता है। आने वाले समय में कस्टम मिलिंग और रेल नीर घोटालों की जांच और भी गंभीर मोड़ ले सकती है।

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