E-Challan Scam: सावधान!फर्जी ई-चालान लिंक से साइबर ठगी…NV News

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रायपुर/(E-Challan Scam): ऑनलाइन ठगी करने वाले शातिर साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने का नया तरीका खोज निकाला है। अब वे फर्जी ई-चालान लिंक भेजकर बैंक खातों को खाली कर रहे हैं। राजधानी रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। परिवहन विभाग ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें और हमेशा केवल आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ही ई-चालान की जांच या भुगतान करें।

कैसे करते हैं ठगी:

साइबर अपराधी लोगों को ट्रैफिक नियम तोड़ने का डर दिखाकर ठगते हैं। वे ट्रैफिक पुलिस या परिवहन विभाग के नाम से एसएमएस (SMS) या व्हाट्सएप संदेश भेजते हैं। इन संदेशों में लिखा होता है कि आपका ट्रैफिक चालान बकाया है और तुरंत भुगतान करें, नहीं तो कार्रवाई होगी। संदेश में एक फर्जी लिंक दिया जाता है।

जैसे ही कोई व्यक्ति इस लिंक पर क्लिक करके जुर्माना भरने की कोशिश करता है, उसका बैंक खाता हैक हो जाता है और पैसों की निकासी शुरू हो जाती है। कई मामलों में ठग मोबाइल में वायरस या हैकिंग सॉफ्टवेयर डालने के लिए “.apk” फाइल का लिंक भी भेजते हैं, जिससे पूरा फोन नियंत्रित किया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ में 100 से ज्यादा मामले:

हाल ही में प्रदेश में ऐसे 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और कोरबा जैसे बड़े शहर इस साइबर ठगी के प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। पीड़ितों के अनुसार, संदेश इतने असली लगते हैं कि उन्हें संदेह नहीं होता।

अपर परिवहन आयुक्त डी. रविशंकर के अनुसार, “साइबर ठग लोगों के डर और जल्दबाजी का फायदा उठाते हैं। असली चालान केवल पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है और भुगतान के लिए सरकारी पोर्टल का ही इस्तेमाल होता है।”

आधिकारिक वेबसाइट से करें जांच:

यदि आपको कोई संदेश मिलता है जिसमें चालान भरने के लिए लिंक दिया गया है, तो उस पर क्लिक न करें। अपने चालान की सही जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://www.echallan.cg.gov.in पर जाएं।

वेबसाइट पर लॉगिन करने के बाद यह प्रक्रिया अपनाएं:

1.‘Pay Online’ विकल्प पर क्लिक करें।

2.चालान नंबर और कैप्चा कोड दर्ज करें।

3.आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर आए OTP को डालें।

4.आपके सामने पूरा चालान विवरण आ जाएगा।

यह तरीका पूरी तरह सुरक्षित और भरोसेमंद है।

फर्जी लिंक पहचानने के तरीके:

साइबर ठग अक्सर लोगों को भ्रमित करने के लिए असली वेबसाइट जैसी नकली वेबसाइट बनाते हैं। उन्हें पहचानने के लिए ये बातें ध्यान रखें:-

• असली सरकारी वेबसाइट का डोमेन “.gov.in” होता है।

• यदि लिंक में अजीब अक्षर या “.apk” फाइल हो, तो वह नकली है।

• किसी भी अनजान स्रोत से आए संदेश में लिंक पर क्लिक न करें।

• ट्रैफिक विभाग कभी भी व्हाट्सएप पर चालान भेजकर भुगतान नहीं मांगता।

ठगी का शिकार होने पर क्या करें:

यदि आप गलती से फर्जी लिंक पर क्लिक कर चुके हैं या ठगी का शिकार हो गए हैं, तो तुरंत ये कदम उठाएं:

1.बैंक के ग्राहक सेवा नंबर पर कॉल करके खाते को ब्लॉक करवाएं।

2.‘1930’ साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन पर तुरंत शिकायत दर्ज करें।

3.नजदीकी पुलिस थाने में लिखित शिकायत दें।

4.लिंक या संदेश का स्क्रीनशॉट सबूत के तौर पर सुरक्षित रखें।

पुलिस और विभाग की चेतावनी:

परिवहन विभाग और पुलिस ने साफ कहा है कि वे केवल पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ही चालान की सूचना भेजते हैं। साथ ही, भुगतान केवल सरकारी पोर्टल या अधिकृत एप के माध्यम से ही किया जाता है।

डी. रविशंकर, अपर परिवहन आयुक्त ने कहा,“लोग किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। अपनी जानकारी और पैसों की सुरक्षा के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइट का ही उपयोग करें। फर्जी लिंक पर क्लिक करने से न केवल बैंक खाता खाली हो सकता है, बल्कि व्यक्तिगत डेटा भी खतरे में पड़ सकता है।”

जागरूक रहें, सुरक्षित रहें:

• ऑनलाइन ठगी से बचने का सबसे बड़ा हथियार सतर्कता है।

• हमेशा अपने बैंक खातों और मोबाइल पर आने वाले संदेशों की सावधानी से जांच करें।

• अनजान लिंक या एप डाउनलोड न करें।

• ऑनलाइन भुगतान के समय सिक्योर नेटवर्क का ही उपयोग करें।

• बच्चों और बुजुर्गों को भी इन ठगी तरीकों के बारे में जागरूक करें।

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए साइबर सेल और पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है। लेकिन जब तक लोग खुद सावधान नहीं होंगे, तब तक ठगों को पकड़ना चुनौतीपूर्ण रहेगा।

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