“Digital arrest in online fraud”:’डिजिटल अरेस्ट’का जाल, बुजुर्गों से करोड़ों की ठगी…NV News 

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Chhattisgarh:रायपुर में साइबर ठगों ने बुजुर्गों को निशाना बनाकर करोड़ों रुपये की ठगी कर ली है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम की इस नई चाल में ठग खुद को CBI, ED या बैंक अधिकारी बताकर संदिग्ध लेन-देन का बहाना बनाते हैं और गिरफ्तारी का डर दिखाकर पीड़ित से रकम अपने खातों में ट्रांसफर करवा लेते हैं। हाल ही में राजधानी के तीन अलग-अलग थाना क्षेत्रों-राखी, विधानसभा और पुरानी बस्ती से तीन बुजुर्गों से लगभग दो करोड़ रुपये हड़प लिए गए।

कैसे फंसाते हैं ठग?

पुलिस के मुताबिक, ठग पहले चोरी का बैंक डेटा हासिल करते हैं। इसमें ग्राहक का नाम, खाता बैलेंस और मोबाइल नंबर शामिल होता है। इसके बाद वे बुजुर्गों को कॉल कर खुद को सरकारी एजेंसी या बैंक अधिकारी बताते हैं। वे कहते हैं कि उनके खाते में संदिग्ध लेन-देन हुआ है या उनका नाम मनी लांड्रिंग केस में आ गया है। फिर “जांच में सहयोग” के नाम पर तुरंत पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डालते हैं।

पीड़ित डर और घबराहट में बिना सोचे-समझे रकम भेज देते हैं। ठग रकम को तुरंत म्यूल (फर्जी) खातों में डालकर कैश निकाल लेते हैं, जिससे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।

हाल ही में तीन मामले सामने आए हैं:

1.सेवानिवृत्त लिपिक से ठगी:

राखी थाना क्षेत्र के 60 वर्षीय सेवानिवृत्त लिपिक को कॉल आया कि उनके खाते में संदिग्ध ट्रांजेक्शन हुआ है। जांच के नाम पर उन्हें पैसे ट्रांसफर करने को कहा गया, और रकम वापस करने का भरोसा दिया गया। गिरफ्तारी के डर से उन्होंने लाखों रुपये भेज दिए।

2.रिटायर्ड CEO को बनाया शिकार:

विधानसभा थाना क्षेत्र में एक निजी स्टील कंपनी की सेवानिवृत्त CEO को ठगों ने बैंक अधिकारी बनकर फोन किया। उन्हें कहा गया कि “आप डिजिटल अरेस्ट में हैं” और गिरफ्तारी से बचने के लिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करें। महिला ने डर के कारण ठगों के बताए खाते में रकम डाल दी।

3.डिप्टी डायरेक्टर के साथ धोखाधड़ी:

पुरानी बस्ती क्षेत्र में सांख्यिकीय विभाग की डिप्टी डायरेक्टर को कॉल आया कि उनका नाम मनी लांड्रिंग केस में है और गिरफ्तारी टालने के लिए तुरंत भुगतान करना होगा। उन्होंने भी घबराकर पैसे ट्रांसफर कर दिए।

बैंक से डेटा लीक होने का शक:

पुलिस को संदेह है कि ठगों को यह संवेदनशील जानकारी बैंकों के अंदर से ही मिल रही है। किसी कर्मचारी द्वारा यह डेटा गिरोह तक पहुंचाया जा रहा है, जिसमें खाता बैलेंस और मोबाइल नंबर जैसी डिटेल शामिल है।

ऐसे फोन आए तो क्या करें?:

1.कॉल करने वाले की एजेंसी या बैंक से आधिकारिक नंबर पर खुद संपर्क करें।

2.संदेह होने पर तुरंत फोन काट दें ,बातचीत बढ़ाने से बचें।

3.नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं।

4.राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या साइबर क्राइम पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।

क्या बिल्कुल न करें:

• किसी को भी OTP, बैंक डिटेल या पासवर्ड न बताएं।

• अनजान नंबर से आए कॉल पर भरोसा न करें।

• किसी के कहने पर जल्दबाजी में पैसे न भेजें।

• संदिग्ध कॉल पर लंबी बातचीत से बचें।

पुलिस की कार्रवाई:

एएसपी (क्राइम) संदीप मित्तल के अनुसार, “हाल के दिनों में जिन बुजुर्गों से ठगी हुई है, उनके द्वारा भेजे गए पैसों के खातों की जांच हो रही है। ठग रकम को म्यूल अकाउंट में डालकर तुरंत निकाल लेते हैं। गिरफ्तारी के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।”

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