Dhamtari Breaking: थानेदार के तबादले से मचा हड़कंप, लोगों ने मंत्री से लगाई गुहार…NV News

Share this
Dhamtari breaking: जिले में भखारा थाना प्रभारी प्रमोद अमलतास के अचानक हुए तबादले से पूरे क्षेत्र में हलचल मच गई है। मात्र दो महीने पहले पदस्थ हुए इस अधिकारी ने जिस तेजी और निष्पक्षता से काम किया, उससे क्षेत्रवासी बेहद खुश थे। लेकिन एसपी सूरज सिंह परिहार द्वारा हाल ही में जारी किए गए थाना प्रभारियों के तबादला आदेश में उनका नाम शामिल होने से लोगों में नाराजगी फैल गई है।
प्रमोद अमलतास को भखारा थाना से हटाकर रक्षित केंद्र धमतरी में पदस्थ किया गया है। यह निर्णय क्षेत्रवासियों को रास नहीं आया। उनका कहना है कि “जब कोई थानेदार क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखे, नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और अपराधियों पर नकेल कस दे, तो ऐसे अधिकारी को हटाना क्षेत्र के हित में नहीं है।”
दो माह में ही बदल दी तस्वीर:
स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रमोद अमलतास ने भखारा थाने की कार्यप्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाए थे। उन्होंने नशे के खिलाफ अभियान चलाया, कई अपराधिक तत्वों पर कार्रवाई की और थाना परिसर में अनुशासन का माहौल बनाया। उनकी सक्रियता और मिलनसार व्यवहार से लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे।
लेकिन अचानक तबादले की खबर ने क्षेत्रवासियों को चौंका दिया। उनका कहना है कि जिले में अपराध की दर पहले से बढ़ी हुई है, ऐसे में अनुभवी और ईमानदार अधिकारियों की मौजूदगी बेहद जरूरी है। फिर भी ऐसे अधिकारी का तबादला करना अन्यायपूर्ण निर्णय है।
जनता की अपील-“वापस लाओ हमारे थानेदार को”:
भखारा क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने इस तबादले पर कड़ी आपत्ति जताई है। लोगों का कहना है कि प्रमोद अमलतास ने अल्प समय में जो विश्वास जीता है, वह हर थानेदार नहीं कर पाता। इसी वजह से ग्रामीण और व्यापारी वर्ग ने केबिनेट मंत्री गुरु खुशवंत साहब से मुलाकात कर अमलतास को दोबारा भखारा थाना में पदस्थ करने की मांग की है।
लोगों का कहना है, “ऐसे ईमानदार अधिकारी बहुत कम मिलते हैं, जिन्होंने जनता की समस्याओं को अपनी प्राथमिकता बनाया। उनके रहते क्षेत्र में अपराध कम हुआ, लोग निडर होकर अपनी बात पुलिस तक पहुंचा पा रहे थे।”
जिले में पहली बार दिखी ऐसी एकजुटता:
धमतरी जिले में यह शायद पहला मौका है जब किसी पुलिस अधिकारी के समर्थन में आम लोग इतनी बड़ी संख्या में आगे आए हों। आमतौर पर पुलिस के तबादलों पर जनता चुप रहती है, लेकिन प्रमोद अमलतास के मामले में न केवल ग्रामीण बल्कि सामाजिक संगठन और व्यापारी संघ भी सक्रिय हो गए हैं।
लोगों का कहना है कि पुलिस विभाग को ऐसे अधिकारियों का मनोबल बढ़ाना चाहिए, न कि उन्हें बिना कारण स्थानांतरित करना चाहिए।
अब नजरें प्रशासन पर:
जनता की यह मांग अब जिले के आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों तक पहुंच गई है। देखना होगा कि क्या प्रशासन जनता की इस अपील को सुनता है या नहीं।
हालांकि इस घटना ने यह जरूर साबित कर दिया है कि जब कोई पुलिस अधिकारी ईमानदारी से काम करता है, तो जनता न केवल उसे पहचानती है बल्कि उसके साथ खड़ी भी हो जाती है।