स्कूल में बच्चों से मजदूरी! शिक्षिका ने पढ़ाई की जगह फावड़ा-झाड़ू थमाया

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बम्हनीडीह। बम्हनीडीह ब्लॉक के ग्राम पंचायत खपरीडीह स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में शिक्षा का अधिकार मज़ाक बन गया है। यहां पढ़ने वाले मासूम बच्चों से शिक्षिका द्वारा स्कूल समय में फावड़ा, झाड़ू और गैती उठवाकर मजदूरी कराई जा रही है।

ग्रामीणों ने इस पूरे मामले का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिसमें बच्चे मिट्टी खोदते और ज़मीन पर झाड़ू लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह दृश्य किसी विद्यालय का नहीं बल्कि मजबूरी और शोषण की तस्वीर पेश कर रहा है।

“मैडम पढ़ाई नहीं करवातीं, झाड़ू लगवाती हैं” — बच्चों का आरोप

गांववालों ने बताया कि स्कूल में बच्चों से सफाई और झाड़ू-पोंछा करवाना अब आम बात हो गई है। कई बच्चे स्कूल जाने से डरने लगे हैं। उन्होंने अपने पालकों से शिकायत की —

“मैडम पढ़ाई नहीं करवातीं, बल्कि झाड़ू और मिट्टी उठाने का काम कराती हैं।”

ग्रामीणों का कहना है कि कुछ बच्चों को सफाई के दौरान चोट भी लग चुकी है, जिसके बाद उन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया।

प्रधान पाठिका का बचाव और सच्चाई

जब प्रधान पाठिका अन्नपूर्णा शुक्ला से इस मामले में पूछा गया, तो उन्होंने सफाई दी कि यह काम बाल दिवस के उपलक्ष्य में की गई सामूहिक सफाई थी।

लेकिन वायरल वीडियो ने इस दावे को झूठा साबित कर दिया। वीडियो में केवल कुछ बच्चे सफाई करते दिखे जबकि बाकी कक्षाओं में सामान्य पढ़ाई चल रही थी।

ग्रामीणों का आरोप है कि यह कोई एक दिन की बात नहीं, बल्कि लंबे समय से बच्चों से ऐसा कार्य करवाया जा रहा है। शिकायतों के बावजूद विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

पहले भी हो चुका है ऐसा मामला

यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी ब्लॉक के सिलादेही स्कूल में जुलाई माह में शिक्षक गोपी कुमार तिवारी को बच्चों से अपने निजी खेत का काम करवाने पर निलंबित किया गया था। उस समय जिला पंचायत उपाध्यक्ष गगन जयपुरिया ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करवाई थी।

इसके बावजूद विभाग ने कोई सबक नहीं लिया और अब फिर वही गलती दोहराई जा रही है।

ग्रामीणों की चेतावनी — “कार्रवाई नहीं हुई तो करेंगे धरना”

ग्राम खपरीडीह के ग्रामीणों ने शासन और शिक्षा विभाग से तत्काल जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की है।

पालकों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रधान पाठिका अन्नपूर्णा शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे और ब्लॉक मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन करेंगे।

ग्रामीणों ने कहा —

“जो शिक्षक शिक्षा के मंदिर को अपमानित कर रहे हैं, उन्हें सेवा में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।”

अब देखना यह है कि विभाग बच्चों की पीड़ा सुनता है या एक बार फिर आंखें बंद रखता है।

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