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N.V. News मुंगेली: छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मामला थमने का नाम ही नही ले रहा है। अब खुद मुख्यमंत्री को भी विरोध का सामना करना पड़ गया। बता दे कि मुंगेली जिले के लोरमी तहसील मुख्यालय में बाबा गुरु घासीदास जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए। जब मुख्यमंत्री सभा को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान सतनामी समाज के युवकों ने बैनर-पोस्टर लहराकर आरक्षण मामले पर विरोध दर्ज कराया और मुख्यमंत्री वापस जाओ के नारे लगाए। इस दौरान आनन फानन में पुलिस ने मोर्चा संभाला और विरोध कर रहे युवाओं को बाहर करते हुए थाने ले जा कर बैठाया गया है। वही मुख्यमंत्री को अपना भाषण रोकना पड़ा।
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में मुख्यमंत्री ने विरोध कर रहे लोगों को मंच पर आकर चर्चा करने की अपील भी की। लेकिन युवा विरोध में डटे रहे।
बता दे कि सभी वर्गो को ध्यान में रखते हुए नया आरक्षण विधेयक बनाया गया है वही अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 12 से 13% किया गया है। लेकिन कांग्रेस की भूपेश सरकार ने सत्ता में आने से पूर्व अनुसूचित जाति वर्ग के लोगो के आरक्षण को पुनः 16% करने का अपने घोषणा पत्र में वादा किया था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ सरकार में आते ही भूपेश सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के लोगो को लालीपॉप पकड़ाते हुए 12% से 13% किया। वही नए विधेयक में भी 13% ही रखा गया है। जिससे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे नाराज अनुसूचित जाति वर्ग के लोग भूपेश सरकार का पूरे प्रदेश में विरोध कर रहे है।
अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 16% नही होने पर SC समाज में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है। प्रदेश के कई स्थानों में आरक्षण कटौती के विरोध आरक्षित मंत्रियों व विधायकों का पुतला दहन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विरोध, नारे बाजी किया जा रहा है। अनुसूचित जाति के युवाओं ने मुंगेली कलेक्ट्रेट में आवेदन देकर लालपुर व अमर टापू गुरु घासीदास जयंती में आने का विरोध किया था साथ ही मुंगेली प्रशासन को चेतावनी देते हुवे कहा था कि गुरु घासीदास जयंती में कुछ भी होगा उसके जिम्मेदार प्रशासन होगा। बालोद जिले में सतनामी समाज ने गुरु घासीदास जयंती में कांग्रेस विधायक व कांग्रेस के नेताओ को मंच साधा करने का विरोध किया है।
राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग की यह नाराजगी कांग्रेस पार्टी को भारी ना पड़ जाए क्योंकि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव है और प्रदेश में किसी भी पार्टी की सरकार बनाने में अनुसूचित जाति वर्ग का बहुत बड़ा योगदान रहता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह आरक्षण की राजनीति प्रदेश में क्या परिवर्तन करता है।